Somvati Hariyali Amavasya : आज सोमवती एवं हरियाली अमावस्या दोनों हैं, पीपल के वृक्ष पर यह करने से होगी हर मनोकामना पूर्ण, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Somvati Hariyali Amavasya : 17 जुलाई सोमवार को हिंदू धर्म के अनुसार एक विशेष महत्व का दिन है। इस दिन सोमवती अमावस्या एवं हरियाली अमावस्या दोनों एक साथ पड़ रहीं हैं। यह अजीब संयोग है, जब दोनों अमावस्या एक ही दिन पड़ रही है।

हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या एवं हरियाली अमावस्या दोनों का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत करने एवं विधि विधान से पूजा करने पर मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। सावन के महीने कि इस सोमवती/ हरियाली अमावस्या का व्रत सोमवार 17 जुलाई को रखा जाएगा। सोमवती अमावस्या के साथ-साथ इस दिन सावन का सोमवार भी है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। सोमवती अमावस्या का व्रत विवाहित स्त्रियों के द्वारा अपने पतियों की दीर्घायु के लिए भी किया जाता है।

शुभ मुहुर्त

सावन के महिने में पड़ने वाली इस सोमवती/हरियाली अमावस्या रविवार 16 जुलाई रात 10:08 से प्रारंभ होकर मंगलवार 18 जुलाई सुबह 12:01 बजे तक चलेगी। हालांकि इस अमावस्या का व्रत सोमवार को ही रखा जाएगा। सोमवार के दिन के शुभ मुहूर्त-

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:12 – सुबह 4:53 तक
  • शुभ मुहुर्त – सुबह 9:01 – सुबह 7:40 तक
  • अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:00 – 12:55 तक
  • अमृत मुहुर्त – शाम 5:37 – रात 7:20 तक

पूजा विधि

सोमवती अमावस्या , हरियाली अमावस्या (Somvati Hariyali Amavasya) के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन सावन का सोमवार है इसलिए शिवजी को जलाभिषेक जरूर करें।

  • पूजा करते समय जल में काला तिल फूल आदि जरूर डालें जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • इस दिन पीपल, तुलसी आदि के वृक्ष लगाना चाहिए।
  • सोमवती अमावस्या के दिन नवग्रहों की शांति के लिए जौ,
    काला तिल, चावल, गेहूं, मूंगदाल आदि दान करना चाहिए।
  • पूजा के बाद वस्त्र दान करने चाहिए।
  • सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का महत्व।

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना बेहद ही फलदाई होता है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का महत्व धर्मसिंधु, निर्णय सिंधु, स्कंद पुराण आदि में बताया गया है। सोमवती अमावस्या के दिन जो भी मनुष्य पीपल के वृक्ष की पूजा अक्षय फल देने वाली होती है।

इस दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना, घी का दीपक जलाना एवं वृक्ष की फेरी लगाना आदि करने से पितृदोष को शांत किया जा सकता है। इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर विष्णु सहस्त्र का पाठ करने से भी पितरों को शांति मिलती है।

इसके अलावा “ॐ सर्वः पितृ मनोः कामना सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा” , “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” , “ॐ अश्वस्थाय नमः” आदि मंत्रो का जाप करने से भी पितरों को शांति मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का वृक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई मनुष्य इस दिन पीपल के वृक्ष को लगाता है या पीपल के वृक्ष का दान करता है एवं पूजा करता है तो उसका जीवन खुशियों से भर जाता है।

सोमवती अमावस्या को क्या नही करें।

सोमवती अमावस्या के दिन कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इस दिन इन कामों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए वरना जीवन में दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं।

  • लहसुन प्याज आदि को त्याग कर सात्विक भोजन करना चाहिए।
  • इस दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • सोमवती अमावस्या के दिन धन किसी को उधार नहीं देना चाहिए।
  • गरीबों एवं असहाय लोगों पर गुस्सा करने से बचना चाहिए।
  • सोमवती अमावस्या के दिन नई वस्तु खरीदने से बचना चाहिए।
  • इस दिन ब्रह्मचर्य का पूर्णता पालन करना चाहिए।

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