कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार 9 अक्टूबर को कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) ने सर्वसम्मति से देश में राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना पर सहमति व्यक्त की है। राहुल गांधी ने कहा कि “जाति जनगणना के मुद्दे पर इंडिया एलायंस के साथ लगभग 4 घंटे की बैठक के बाद इस मुद्दे पर सहमति बनी। इसमें इंडिया एलायंस के अधिकांश सदस्यों ने समर्थन किया है”।
राहुल ने कहा कि “इस मुद्दे पर ऐसा कोई सदस्य नहीं था, जिसने अपना पूर्ण समर्थन नहीं दिया हो”। राहुल ने कहा कि “कांग्रेस एवं विपक्ष सरकार के राज्य के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने-अपने राज्यों में जाति जनगणना करने का निर्णय लिया है। इन राज्यों में राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, हिमाचल हैदराबाद शामिल है”।
जाति जनगणना लोगों के लिए एक्स-रे के समान
राहुल गांधी ने आगे कहा कि देश में जाति जनगणना आवश्यक है। जाति जनगणना करने के पीछे राहुल ने तर्क दिया कि यह लोगों का एक्स-रे करने के समान है। यह देश के विकास में एक नया प्रतिमान बनाने में मदद करेगा।
नई दिल्ली में हुई CWC की बैठक में राहुल ने कहा कि “आज दो भारत बनाए जा रहे है। एक जो अडानी जैसे लोगों का भारत है और दूसरा हम सभी के लिए। जाति जनगणना के द्वारा यह पता चलेगा कि भारत में किस तरह के लोग हैं और उनकी संख्या कितनी है। राहुल ने कहा कि यह गरीब लोगों की मुक्ति के लिए एक बहुत ही शक्तिशाली कदम है”।
दलितों, ओबीसी और गरीबों का आर्थिक सर्वेक्षण
CWC की बैठक में राहुल गांधी ने देश में जाति जनगणना की बात को एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत में दलितों, ओबीसी और गरीबों की स्थिति का बेहतर मूल्यांकन के लिए आर्थिक सर्वेक्षण करने का भी सुझाव दिया।
राहुल गांधी के अनुसार अतिरिक्त आर्थिक सर्वेक्षण से भारत की संपत्ति और संपत्ति को बेहतर ढंग से निर्धारित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे हमें पता चल जाएगा कि देश में कितने लोग हैं। देश संपत्ति का मालिक कौन है। यह मामला जाति धर्म का नहीं है। यह गरीबी का मामला है।
बता दे कि बिहार सरकार ने हाल ही में अपना जाति सर्वेक्षण डाटा जारी किया था। बिहार का जाति सर्वेक्षण डाटा आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने इसकी आलोचना की थी।
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