आखिर क्यों अमेरिका, भारत को NATO में शामिल करने के लिए उतावला है? क्या भारत को रूस से अलग करने की मंशा है ?

NATO: अमेरिका पिछले कुछ समय से भारत को सैन्य शक्तियों से समृद्ध सैन्य संगठन (NATO) नाटो प्लस का हिस्सा बनाने के लिए प्रयासरत है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन एवं फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के इनविटेशन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून से 24 जून तक अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे। इसके अलावा मोदी 22 जून को बाइडेन एवं उनकी पत्नी द्वारा अयोजित स्टेट डिनर में भी शामिल होंगे। मोदी के इस अमेरिकी दौरे से पहले अमेरिका द्वारा भारत को नाटो में हिस्सा बनाने के पक्ष में कई बयान दिए गए हैं।

अमेरिका का भरपूर प्रयास है कि भारत नाटो का हिस्सा बने। भारत को नाटो प्लस में शामिल करने के पीछे अमेरिका का तर्क यह है कि इससे वह चीन का मजबूती से मुकाबला कर सकेगा। इसके अलावा अमेरिका के सहयोग से चीन का ताइवान पर प्रभुत्व कम किया जा सकेगा।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत को नाटो का हिस्सा बनाने के पीछे अमेरिका एवं पश्चिमी देशों की असल मंशा क्या है? नाटो का हिस्सा बनने से भारत का क्या फायदा होगा? या इससे केवल पश्चिमी देशों को ही लाभ होगा? क्या भारत को नाटो में शामिल करके अमेरिका यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत को पश्चिमी देशों के समर्थन में लाना चाहता है?

क्या है NATO ?

NATO (North Atlantic Treaty Organisation) या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यह 31 देशों का एक सैन्य संगठन है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका एवं यूरोपीय देशों द्वारा अपनी सैन्य सुरक्षा के बढ़ाने के उद्देश्य से 4 अप्रैल 1949 को नाटो की स्थापना हुई थी। इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है। पश्चिमी देशों के इस संगठन में अमेरिका के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ कोरिया और इजराइल भी प्रमुख सदस्य हैं। अब अमेरिका द्वारा भारत को नाटो में सम्मिलित करने के लिए भरपूर प्रयास किया जा रहा है जिससे यूरोप एवं पश्चिमी देशों के खिलाफ देशाें से लड़ा जा सके।

नोटों के अनुसार उसका प्रमुख उद्देश्य “One for All and All for One” है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई देश किसी नाटो सदस्य देश पर हमला करता है तो यह हमला सभी नाटो देशों पर माना जाएगा और सभी नाटो देश एक साथ मिलकर खड़े होने के लिए तैयार होंगे। लेकिन क्या नाटो में शामिल होना भारत के लिए सही होगा?

क्या अमेरिका नाटो के बहाने भारत को रूस से अलग करना चाहता है?

अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों के द्वारा भारत को नाटो सैन्य संगठन में शामिल करने के पीछे भारत और रूस के संबंधों को कमजोर करना भी हो सकता है। बता दें कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका नाटो को यूक्रेन के समर्थन में बताता रहा है। इसके विपरीत भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध में अपना पक्ष न्यूट्रल रखा है।

युद्ध के बीच अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों की चेतावनी के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया है। फिर चाहे रूस से कच्चा तेल खरीदने की बात हो या उसके साथ आए दिन मुलाकात की बात हो। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कई बार सार्वजनिक मंचों पर रूस के पक्ष में अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों को आईना दिखाया है एवं अपना पक्ष साफ रखा है कि भारत रूस के साथ व्यापारिक संबंध जारी रखेगा।

अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों की कई चेतावनियों के बाद भी भारत का यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस का विरोध न करना भी अमेरिका के लिए एक चुनौती है। अमेरिका यह बात अच्छी तरीके से जानता है कि भारत विश्व का बहुत बड़ा बाजार है। अमेरिका का भारत के साथ रिश्ते खराब करना अमेरिका के लिए घाटे का सौदा होगा। इसीलिए वह भारत को नाटो प्लस में शामिल करने जैसी तरकीबों से भारत को रूस के विरोध में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।

क्या होगा अगर भारत NATO में शामिल होता है तो?

यदि भारत अमेरिका के कहने पर नाटो में शामिल होता है तो इसका सीधा असर भारत और रूस के रिश्तो पर पड़ेगा। नाटो, यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन का समर्थक है। इसके अलावा अमेरिका भारत के साथ संबंध मजबूत बनाकर भारत से रक्षा सौदे हासिल करना चाहता है एवं हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। यदि भारत अमेरिका के कहने पर नाटो का सदस्य बनता है तो भारत को यूक्रेन-रूस सहित अमेरिका के कई मुद्दों में भारत को घसीटा जाएगा। नाटो का सदस्य होने की वजह से ऐसा करने के लिए भारत पर दबाव भी डाला जाएगा।

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बता दें कि भारत अपनी विदेश नीति में बड़ी सावधानी से आगे बढ़ रहा है। वह अमेरिका एवं रूस सहित सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने के लिए दोनों देशों से आवाहन किया है। नरेंद्र मोदी की 21 जून से शुरू होने वाली यह अमेरिकी यात्रा आने वाले समय में एक नया दृश्य सामने पेश करेगी। मोदी की इस अमेरिकी यात्रा पर चीन, रूस सहित पूरी दुनिया की पैनी नजर होगी।

Disclaimer – यह लेखक के निजी विचार है। Newsadda360 इन विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

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