भगवान शिव, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता माने जाते हैं। उनकी महानता, अद्वैतता और शक्तिशाली स्वरूप के अलावा, शिव के बारे में कई रहस्यमय तथ्य भी हैं जो आज तक अनसुने रहे हैं। चलिए, हम आपको उन रहस्यों की दुनिया में ले चलते हैं।
उलटी जटा का रहस्य: सुरागर्भासने का प्रतीक
भगवान शिव की एक विशेषता है उनकी उलटी जटा। इसे सुरागर्भासने के नाम से भी जाना जाता है। अद्वितीय रूप से, यह रहस्यमय रूप भगवान शिव के पूरे अस्तित्व का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की उलटी जटा में समस्त विश्व की उत्पत्ति, संचालन और संहार की शक्ति निहित होती है।
कैलाश पर्वत: भगवान शिव की आवास स्थली
भगवान शिव की आवास स्थली के रूप में कैलाश पर्वत विश्व में एक रहस्यमय स्थान के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि कैलाश पर्वत ही उनकी निवास स्थली है और यहां वे अपनी तपस्या करते हैं और ध्यान में लगे रहते हैं। इस पर्वत की ऊँचाई, उसकी प्राकृतिक सुंदरता और अप्रतिम मनोहारी दृश्य की वजह से, कैलाश पर्वत ने लोगों की आकर्षण को बढ़ाया है।
शिव तांडव: नृत्य की महान कला
शिव के चरित्र में उनकी महान कला का भी उल्लेख होता है। शिव भगवान का तांडव नृत्य बहुत ही प्रसिद्ध है। इस नृत्य के दौरान शिव भगवान अपनी दिव्य शक्ति और ऊर्जा का प्रदर्शन करते हैं। यह नृत्य उनके गर्भगृह में होता है और इसके प्रतीक के रूप में त्रिशूल, डमरू और गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।
शिवलिंग: भगवान शिव का प्रतीक
शिव भगवान का प्रतीक शिवलिंग है, जिसे शिवलय के रूप में भी जाना जाता है। शिवलिंग एक संकेत है जो शिव की महानता, अद्वैतता और ब्रह्मचर्य को दर्शाता है। यह एक अनादि और अनंत स्वरूप है जिसे अद्वैत माना जाता है, अर्थात् इसका कोई आरंभ और अंत नहीं होता है।
शिवलिंग का महत्व
शिवलिंग भारतीय संस्कृति में एक पवित्र और गंभीर मान्यताओं से युक्त है। इसे देवालयों, मंदिरों और शिवालयों में पूजे जाते हैं। शिवलिंग की प्रतिष्ठा और आराधना मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की विशेष अनुग्रह प्राप्त होती है।
शिवलिंग का आकार और रचना
शिवलिंग का आकार एक प्राकृतिक पत्थर की तरह होता है, जिसे एक बुनियादी आधार पर एक निर्माण द्वारा तैयार किया जाता है। इसका ऊँचाई और व्यास में अंतर होता है और वे अलग-अलग आकार और आकृति में पाए जा सकते हैं। शिवलिंग को एक पीठ पर स्थापित किया जाता है जिसे योनि कहा जाता है और शिवलिंग के ऊपर शिव की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित की जाती है।
शिवलिंग का अर्थ और प्रभाव
शिवलिंग का शब्दिक अर्थ “ईश्वर की आँख” होता है। इसे ईश्वरीय सामर्थ्य, ज्ञान, और आद्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। यह अद्वैत तत्त्व की प्रतिष्ठा है जो हमें सबके बीच एकता और समता की भावना सिखाती है। शिवलिंग की पूजा से मनुष्य को आध्यात्मिक संयम, शक्ति, और शांति प्राप्त होती है।
त्रिशूल: भगवान शिव का अद्वैत चिन्ह
शिव की प्रतिमा में उनके हाथों में धारण किए गए त्रिशूल का एक अद्वैत चिन्ह है। त्रिशूल भगवान शिव की शक्ति और संसारिक माया के प्रतीक है। इसके तीन शंखों का प्रतीक्षा, विनाश और पालन के प्रतीक के रूप में माना जाता है। शिव की प्रतिमा में त्रिशूल के माध्यम से अद्वैत की ज्ञान का संकेत मिलता है।
ये थे महादेव के विचित्रता से भरे रहस्यमय तथ्य। इन रहस्यों की गहराई और महिमा हमेशा लोगों को चुंबकित करती है। भोलेनाथ की प्रतिमा में छिपी ये रहस्य केवल आराधकों को ही प्रकट होते हैं और उन्हें शिव के अद्वैत स्वरूप का अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं।
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