इलाहाबाद हाईकोर्ट : पुलिस को किसी की गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी के कारणों को लिखित में बताना होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में कहा कि पुलिस अधिकारी किसी की गिरफ्तारी करते समय गिरफ्तारी के कारणों को लिखित में देने के लिए बाध्य है। इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस या जांच एजेंसियों को संज्ञेय या असंज्ञेय अपराधों का उल्लेख करने वाले CRPC की धारा 41 और 41A की प्रक्रिया का आवश्यक रूप से पालन करना चाहिए। यानी इसके तहत पुलिस के द्वारा किसी की भी गिरफ्तारी करते समय गिरफ्तारी के कारणों का लिखित में दर्ज़ करना जरूरी है। बता दें कि CRPC की धारा 41 और 41A के उद्देश्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के पहलू हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह बात याचिकाकर्ता राजकुमारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिकाकर्ता राजकुमारी के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 और धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज है। याचिकाकर्ता ने गिरफ्तारी पर रोक एवं FIR को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट में की गई अपील में याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले की सभी धाराएं 7 साल से कम सजा वाली हैं। इसीलिए पुलिस को इस मामले में CRPC की धारा 41A का पालन करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला

इस मामले में हाईकोर्ट ने साल 2014 का अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला भी दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि यदि ऐसे अपराध में जहां सजा 7 साल से कम की हो वहां सीधे गिरफ्तारी अपवाद होनी चाहिए। यानी ऐसे मामले में CRPC की धारा 41A के तहत सीधे गिरफ्तारी करने के बजाय आरोपी को धारा 41(1) के तहत उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया जाना चाहिए।

यदि नोटिस के बाद भी अपराधी गिरफ्तारी के लिए हाजिर नहीं होता है, तो ऐसी असाधारण परिस्थिति में गिरफ्तारी की जा सकती है। इसके साथ ही गिरफ्तारी के कारणों को लिखित में दर्ज किया जाना चाहिए। इसके अलावा यदि आरोपी नोटिस का निरंतर पालन करते हुए उपस्थित होता है तो उसे नोटिस में उल्लेखित अपराध के लिए तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जब तक कि दर्ज किए गए प्रकरण में पुलिस अधिकारी की राय ना हो।

सुप्रीम कोर्ट के इसी निर्देश को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता राजकुमारी वाले इस मामले में पुलिस को CRPC की धारा 41A का पालन करने का निर्देश दिया।

इलाहबाद हाईकोर्ट का आदेश
इलाहबाद हाईकोर्ट का आदेश

इसके अलावा हाईकोर्ट ने ऐसे पुलिस अधिकारियों के नाम रिपोर्ट दर्ज करने एवं उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। जिन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से गिरफ्तारियां की।

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