इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक झूठे आरोप में लगाए गए POSCO को ख़ारिज कर दिया। जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने इस मामले को उस वक्त खारिज कर दिया जब बलात्कार पीड़िता ने कहा कि उसके साथ कोई यौन अपराध नहीं हुआ है बल्कि उसकी मां ने आरोपी से 5 लाख हड़पने के लिए यह मामला झूठा केस दर्ज करवाया था।
बता दें कि POSCO यानि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट है। यह कानून 2012 में अस्तित्व में आया था। इस कानून के तहत 18 साल या उससे कम उम्र के लड़के-लड़कियों के साथ यौन शोषण होता है तो POSCO एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है इस एक्ट में आजीवन कारावास एवं फांसी की सजा का प्रावधान भी है।
अदालत ने माना POSCO का झूठा मामला
जस्टिस देशवाल ने कहा कि अदालत ने मेडिकल जांच में पाया कि पीड़िता के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं है एवं मेडिकल जांच में पीड़िता के साथ बलात्कार की बात भी नहीं की गई है। इसके अलावा पीड़िता बालिग है। उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है इसलिए आरोपी खिलाफ POSCO अधिनियम से लगाकर कार्यवाही नही की जा सकती।
अदालत ने कहा कि मेडिकल जांच में बलात्कार के सबूत ना पाए जाने पर भी पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। मेडिकल रिपोर्ट एवं उपलब्ध आंकड़ों को देखते हुए आरोपी के खिलाफ पोस्को अधिनियम के तहत मामला नहीं बनता है एवं उसको के साथ-साथ धारा 376 को भी रद्द किया जाता है। इस मामले में अदालत ने धारा 363, 366, 376, (2N), 506 सहित POSCO एक्ट के मामले को भी खारिज कर दिया।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को केवल समझौते के आधार पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़े आपराधिक कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
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