झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक: प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी करने पर होगी उम्र कैद की सजा एवं 10 करोड़ का जुर्माना, विधेयक पारित।

झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 : झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग एवं नकल करना अब अभ्यर्थियों को काफी महंगा पड़ेगा। हाल ही में राज्य में प्रश्न पत्र लीक होने की घटनाओं के बाद झारखंड विधानसभा में गुरूवार 3 अगस्त को प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल एवं अनियमितताओं पर नकेल कसने के उद्देश्य से झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों के नियंत्रण और रोकथाम के लिए उपाय) विधेयक 2023 पारित कर दिया है।

झारखंड विधानसभा में पारित हुए इस विधेयक में कहा गया है कि यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए या किसी अन्य परीक्षार्थी को नकल करवाते हुए पकड़ा जाता है तो उसे 3 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा अगर वह दूसरी बात इसी तरह पकड़ा जाता है तो उसे 7 साल की सजा हो सकती है।

परीक्षा में शामिल कर्मचारियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान

इस विधेयक में सबसे खास बात यह है कि परीक्षा प्रक्रिया में शामिल लोग जैसे प्रश्न पत्रों की छपाई करने वाले परीक्षा अधिकारी एवं कर्मचारी आदि इस प्रकार की परीक्षा गड़बड़ियों में शामिल पाए जाते हैं तो उनके लिए आजीवन कारावास एवं 10 करोड रुपए के जमाने का प्रावधान इस विधेयक में है।

बता दें कि झारखंड से पहले इसी साल फरवरी में उत्तराखंड ने भी एक अध्यादेश के माध्यम से इसी तरह का कानून पास हुआ था। इसके अलावा पिछले साल मार्च महीने में राजस्थान में भी प्रतियोगी परीक्षाओं की गड़बड़ियों को रोकने के लिए ऐसा ही कानून बना था।

झारखंड बीजेपी ने किया प्रतियोगी परीक्षा विधेयक का विरोध

प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं को रोक ने के उद्देश्य से बनाए गए झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक का झारखंड बीजेपी ने विरोध किया। झारखंड बीजेपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इसे राज्य के लिए “काला कानून” बताया।

मरांडी ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान राजद्रोह पॉस्को, एससी-एसटी एक्ट अत्याचार निवारण अधिनियम यह भी अधिक खतरनाक है। इस विधेयक में अभ्यर्थियों पर 10 साल का प्रतिबंध, बिना प्रारंभिक जांच के FIR दर्ज करना और बिना जांच के गिरफ्तारी जैसे प्रावधान है। यह छात्रों को जेल भेजने, जनता की आवाज को दबाने और भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा नौकरियां बच बेचने के लिए लाया गया एक काला कानून है।

भाजपा के नेतृत्व में विपक्ष ने विधानसभा में इकट्ठा होकर विधेयक का विरोध किया एवं विदेश की प्रतियां फाड़ दी एवं इसका बहिष्कार किया।

विधेयक एवं बीजेपी के विरोध पर क्या कहा सीएम हेमंत सोरेन ने।

विधानसभा में झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 पर बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि “हाल ही में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं सामने आई है। इसकी वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों एवं समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून लाने की आवश्यकता है”।

इसके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार के अधीन संचालित विभागों, कार्यालयों, स्वायत्त निकायों, निगमों और संस्थाओं में किसी भी पद पर भर्ती के उद्देश्य से प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता भंग करने एवं परीक्षा में बाधा डालने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग जैसे जघन्य अपराधों की रोकथाम और नियंत्रण प्रदान करने के लिए एवं सुनवाई के लिए और उससे जुड़े मामलों के लिए विशेष अदालतों के गठन संबंधी एक अधिनियम की आवश्यकता है।

विधेयक पर बीजेपी के विरोध पर मुख्यमंत्री ने विपक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि “झारखंड इस तरह का विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य नहीं है। इससे पहले भी अन्य राज्यों ने ऐसा किया है। इसके अलावा सीएम सोरेन ने कहा कि बीजेपी इस कानून को कठोर बता रही है जबकि पूरी दुनिया देख रही है कि NDA ने कैसे राज्य सरकार के विरोध के बावजूद “वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक” पारित किया था।

क्या है इस झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक में

झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 के अनुसार यदि अधिनियम के तहत अधिकृत पुलिस अधिकारी के पास इस अपराध के संबंध में पर्याप्त सबूत है एवं पुलिस को पर्याप्त विश्वास है कि कोई व्यक्ति इस अपराध का दोषी है तो उस व्यक्ति को स्पष्टीकरण के साथ गिरफ्तार किया जाएगा। इसके अलावा इस अधिनियम में अपराधी की संपत्ति कुर्की के मामले में भी प्रावधान लागू होंगे।

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इस विधेयक में प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थियों को अनुचित साधनों का प्रयोग करते पाए जाने पर पहली बार में 3 साल की जेल एवं जुर्माना एवं दूसरी बार पाए जाने पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा परीक्षा आयोजित कराने वाले किसी भी अधिकारी के लिए यह सजा आजीवन कारावास एवं 10 करोड़ रूपए होगी।

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