पत्नी से सेक्स को मना करना क्रूरता नहीं, कर्नाटक HC ने दिया फैसला

विवाह को भारतीय संस्कृति में पवित्र माना जाता है, और हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) देश में हिंदू विवाहों के कानूनी पहलुओं को नियंत्रित करता है। हालाँकि, हाल के दिनों में, ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ जोड़ों को अपनी शादी में समस्याओं का सामना करना पड़ा है। हाल के एक फैसले में, कर्नाटक हाईकोर्ट (HC) ने माना है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपनी पत्नी से यौन संबंध बनाने से मना करना क्रूरता है, लेकिन भारतीय दंड संहिता आईपीसी (IPC) की धारा 498 (A) के तहत अपराध नहीं है।

दहेज प्रताड़ना के मामले में विचाराधीन तलाक देने का फैसला

विचाराधीन मामला एक जोड़े के इर्द-गिर्द घूमता है, जिनकी शादी दिसंबर 2019 में हुई थी। शादी के महज 28 दिनों के भीतर पत्नी अपने मायके चली गई और फरवरी 2020 में उसने अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया। पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी रद्द करने की मांग करते हुए भी एक केस दर्ज कराया था। आखिरकार, नवंबर 2022 में दोनों का तलाक हो गया।

सुनवाई के दौरान पति ने दलील दी कि उसका अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का कभी इरादा नहीं था और वह आध्यात्मिक विचारों में विश्वास करता था।

पति ने पत्नी के खिलाफ दायर दहेज केस पर चुनौती दी, कर्नाटक HC ने दिए ये फैसले

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने दायर दहेज केस के मामले पर फैसला दिया है। इस मामले में पति ने पत्नी के खिलाफ दहेज केस दर्ज करवाया था।

फैसले के दौरान जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1) के तहत क्रूरता में आते हैं, लेकिन IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता नहीं है। चार्जशीट में याचिकाकर्ता के खिलाफ ऐसी कोई घटना या तथ्य नहीं है, जो इसे IPC की धारा के तहत क्रूरता साबित करे।

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जस्टिस ने यह भी कहा कि तलाक के लिए फैमिली कोर्ट ने शारीरिक संबंध न बनाने को क्रूरता माना है, लेकिन कोर्ट इस आधार पर क्रिमिनल कार्रवाई जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकता, इससे कानून का गलत इस्तेमाल होगा।

इस मामले में जस्टिस ने भी इस बात का जिक्र किया कि आध्यात्मिक विचार मानता है कि प्यार कभी शारीरिक संबंध पर नहीं होता, ये आत्मा का मिलन होना चाहिए।

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