Delhi High Court : अदालत कोई Matrimonial संस्था नहीं है कि आरोपी को पीड़िता से शादी के लिए कहे, जांच होगी और सजा भी।

Delhi High Court ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि अदालतों का इस्तेमाल “शादी करवाने की सुविधा” वाले एक मंच के रूप में नहीं होना चाहिए। अदालत शादी की सुविधा देने वाले एक बिचौलिए के रूप में किसी आरोपी पर पीड़िता से शादी के लिए दबाव नहीं डाल सकता।

Delhi High Court ने यह टिप्पणी शादी का झूठा झांसा देकर एक महिला से बलात्कार करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए की। इसके अलावा आरोपी को पीड़िता से शादी करवाने को लेकर दबाव डालने से भी इंकार कर दिया।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक Delhi High Court के जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की एकल पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता (महिला) और आरोपी पुरुष दोनों ने जांच एजेंसियों और न्यायिक प्रणाली को धोखा दिया है। दोनों ही अलग-अलग तरीकों से अपने-अपने लाभ के लिए न्यायिक प्रणाली में हेरा फेरी करने की कोशिश कर रहें है।

हालांकि आरोपी अभी फरार है और वह कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग भी कर रहा है। शिकायतकर्ता, आरोपी से शादी भी करने वाली है। इसी के चलते कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट पहले ही जारी कर दिया है।

शिकायतकर्ता और आरोपी ने क्या कहा कोर्ट में

खबर के अनुसार शिकायतकर्ता महिला ने शुरुआत में सीआरपीसी की धारा 164 के बयान में कहा था कि पुरुष ने शादी के झूठे बहाने पर उसके साथ यौन संबंध बनाए। इसके बाद 22 अगस्त को महिला ने कोर्ट के सामने कहा कि वह चाहती है कि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाए क्योंकि अब वे दोनों शादी करना चाहते हैं।

इसी तरह आरोपी ने भी ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के सामने ज़मानत पर बहस करते हुए कहा था कि FIR में उसकेे ऊपर लगाए गए आरोपों से उसका कोई सरोकार नहीं है। आरोप झूठे हैं। शिकायतकर्ता महिला और वह दोनों केवल दोस्त थे। उसने शादी के बहाने कभी भी महिला के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए।

इसके बाद आरोपी ने भी 22 अगस्त को ट्रायल कोर्ट के सामने अपना बयान बदलते हुए कहा था कि पहले किसी कारणवश शादी नहीं हो सकी। लेकिन अब शिकायतकर्ता और वह एक दूसरे से शादी करना चाहते है।

इन दोनों के बदले हुए बयान के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि ASJ और न्यायालय के समक्ष दोनों के द्वारा दिए गए बयान एक दूसरे के विपरीत है। यह स्पष्ट रूप से इस ओर इशारा करता कि दोनों ने अपने अपने लाभ के लिए न्यायालय का इस्तेमाल किया है।

Delhi High Court ने कहा आरोपी को हिरासत में लेकर जांच तो होगी

जस्टिस शर्मा ने ने कहा कि मामले की परिस्थितियों और अग्रिम तथ्यों पर विचार करने बाद अदालत आरोपी को अग्रिम जमानत देने के लिए उपयुक्त नहीं मानती है। यह मामला FIR दर्ज होने के बाद से लेकर वर्तमान स्थिति में पहुंचने के बाद अब आरोपी की जांच करके सच्चाई सामने रखनी होगी। सच्चाई तक पहुंचाने के लिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ भी होगी।

पहले शिकायत करना फिर शिकायत वापस लेकर आरोपी की ज़मानत की बात करने पर कोर्ट ने कहा कि अदालत शादी करवाने की सुविधा उपलब्ध कराने वाला मंच नहीं है ना ही आरोपी पर शादी के लिए दबाव डाल सकता है।

क्या है मामला

FIR में दर्ज शिकायत के अनुसार महिला, आदमी से काम के दौरान मिली। इसके बाद वे दोनों दोस्त बन गए। दोनों के बीच नियमित रूप से फोन और वीडियो कॉल के जरिए बातचीत होने लगी। इसके बाद महिला ने आरोप लगाया कि फरवरी 2021 में उस व्यक्ति ने एक होटल में ले जाकर शादी के बहाने उसके साथ शारीरिक संबंध बने। इसके बाद उस व्यक्ति ने शादी का झांसा देकर कई बार शारीरिक संबंध बनाए। फिर बाद में शादी से इंकार कर दिया और उसका फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया। दिल्ली पुलिस ने महिला की शिकायत पर 30 जून को आईपीसी की धारा 376 के तहत FIR दर्ज की थी

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