टीएमसी: ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसा, हादसे के कई दिनों बाद भी रोज नए विवाद के साथ खबरों में बना हुआ है। इसी के साथ ही एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर ब्लैक मनी बाटने का आरोप लग रहा है। दरअसल ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को टीएमसी के नेताओं ने मुआवजे के रुप में 2000 रुपए के नोट दिए। मृतकों के परिजनों को बांटे गए ₹2000 के नोटों के रुपयों की संख्या 2 लाख है। टीएमसी नेताओं के द्वारा इन 2000 नोटों को बाटने के बाद यह मुद्दा विवाद का विषय बन गया। बीजेपी, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल टीएमसी पर आरोप लगा रहे हैं कि उनके नेताओं ने ₹2000 के नोट के बांटने के बहाने ब्लैक मनी को ठिकाने लगा दिया है।
टीएमसी की सरकार ने किया था 5 लाख की सहायता का ऐलान।
बालासोर ट्रेन हादसे में पश्चिम बंगाल के लोगों के मारे जाने पर ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार ने 5 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है। इसके अलावा उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है। लेकिन विवाद की स्थिति तब बन गई। जब अभिषेक बनर्जी ने मुआवजे की रकम के 2 लाख रुपए उन्होंने बंद हो चुके ₹2000 के नोटों के रुप में नगद दिए। इसके अलावा उन्होंने 2000 रुपए के नोटों की गड्डी बांटते हुए का बाकायदा वीडियो बनाकर शेयर किया।
नॉर्थ 24 परगना जिले के तीन भाई जो हादसे वाली ट्रेन से काम करने बाहर जा रहे थे। इस ट्रेन हादसे में इन तीनों भाइयों का देहांत हो गया। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी द्वारा इन्हीं तीनों भाइयों के परिवार वालों को 2 लाख रुपए मुआवजे के रूप में 2000 रुपए की गड्डी दी गई। जिसका वीडियो भी बनाया गया। इस प्रकार 2000 के नोट बांटते हुए वीडियो जब वायरल हुआ तो इसे देखकर बीजेपी एवं विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि इतनी ब्लैक मनी कहां से आई?
बीजेपी ने ब्लैक मनी के तहत कारवाही की मांग की
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि टीएमसी के नेताओं पर भ्रष्टाचार के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। दरअसल विवाद की वजह यह है कि जब भी कोई मुआवजा की राशि दी जाती है तो वह चेक या अन्य लिखित माध्यम से दी जाती है, जिसका पूरा विवरण रखा जाता है, लेकिन यहां बंद हो चुके 2000 रुपए के नोटों के रूप में नगद रुपए दिए गए, जिसका कोई लिखित ब्यौरा भी नहीं दिया गया। विपक्षी दलों का यह आरोप है कि बड़ी संख्या में 2000 के नोट होने की वजह से इनको खत्म करने के इरादे से पीड़ितों में बांट दिया गया।
बीजेपी का कहना है कि टीएमसी नेताओं ने अपने ब्लैक मनी को ठिकाने लगाने के लिए एवं लोगों से सहानुभूति बटोरने के लिए इस तरह 2000 के नोटों को बिना किसी लिखित ब्यौरे के लोगों में बांट दिए। इसके लिए उनके खिलाफ ब्लैक मनी के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने 2000 के नोटों को बंद करने का फैसला किया था। RBI ने लोगों के पास जो नोट बाकी है उन्हें 30 सितंबर तक बैंकों में जमा करने के लिए कहा था। इन नोटों को बैंकों में जमा करने के कुछ नियम है कि आप एक बार में 20000 से अधिक रुपए जमा नहीं कर सकते अधिक बार जमा करने पर आप पर कार्रवाई भी की जाएगी।
अब ऐसे समय में जब केंद्रीय बैंक द्वारा 2000 का नोट बंद कर दिए हो और पुराने नोटों को बदलने की अधिकतम सीमा ₹20000 हो तो बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाकर ब्लैक मनी का नाम दिया है।
टीएमसी ने कहा 2000 के नोट अभी भी चालू है।
बीजेपी द्वारा उठाए गए इस मुद्दे के जवाब में टीएमसी के नेताओं का कहना है कि 2000 के नोट अभी चालू है। जो धनराशि पीड़ितों को दी गई है वह चोरी छुपे नहीं दी गई है, सबके सामने दी गई है। 30 सितंबर से पहले इन नोटों को बैंक में जाकर बदला जा सकता है। बीजेपी मुद्दे से भटकाने का काम कर रही है एवं हादसे की वजह नहीं बता रही है।
विपक्ष ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप
इस हादसे में इससे पहले यह विवाद उठता रहा कि इस ट्रेन हादसे में जिम्मेदार कौन है? ट्रेन का ड्राइवर, लोको पायलट कहां है? विपक्षी दलों ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि बीजेपी मौत के सही आंकड़े को नहीं बता रही है। विपक्ष का सरकार पर एक बहुत बड़ा गंभीर आरोप है कि सरकार ने अभी तक हादसे में मरने वालों की संख्या का सही आंकड़ा नहीं दिया है। कभी बीजेपी मरने वालों की संख्या 288 बताती है और अब 275 पर आ गई है। इसके अलावा विपक्ष का यह आरोप भी है कि सरकार द्वारा मृतकों की संख्या का यह आंकड़ा जो बताया गया है, इसमें जनरल टिकट (चालू टिकिट) वालों को नहीं जोड़ा गया है।
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विपक्ष का कहना है कि यदि जनरल टिकट वालों को भी जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा काफी बड़ा होगा। सरकार मृतकों की सही संख्या जनता से छुपा रही है। इसके अलावा हादसे में मरने वालों के अलावा बहुत सारे लोग लापता हैं। उन लापता लोगों की संख्या के बारे में कुछ अता पता नहीं है। सरकार को यह पूरे आंकड़े जनता के सामने रखने चाहिए।
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