लखनऊ कोर्ट हत्याकांड: संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या, एक बच्ची समेत 4 घायल; मुख्तार अंसारी और जीवा के रिश्ते खुले

लखनऊ कोर्ट हत्याकांड: लखनऊ के कैसरबाग स्थित कोर्ट में बुधवार दोपहर पेशी पर आए एक घटना में, दरिंदा अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर वकील की पोशाक में पहुंचे थे और उन्होंने 5-6 राउंड फायरिंग की। इस हमले में संजीव जीवा की मौत हो गई, जबकि एक बच्ची, 2 पुलिसकर्मी और अन्य 4 लोग जख्मी हो गए। घटना के बाद, हमलावरों में से एक को वकीलों ने पकड़ लिया और उसकी मौके पर जमकर पिटाई की। घटना के स्थान पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए है |

मुख्तार अंसारी और जीवा के रिश्ते: बंधे मित्र और साथी अपराधी

संजीव जीवा उत्तर प्रदेश के लखनऊ जेल में बंद था और वह मुख्तार अंसारी का करीबी मित्र था। जीवा मुजफ्फरनगर का एक कुख्यात बदमाश था, और शुरुआती दिनों में उसने एक दवाखाना में कंपाउंडर की नौकरी की थी। बाद में उसी दवाखाना के मालिक को उसने अगवा कर लिया।

यहां तक कि, अपनी गिरफ्तारी के पहले, जीवा के बारे में कहा जाता है कि उसे पुलिस के 22 से अधिक मुकदमों में शामिल किया गया था और उसके गैंग में 35 से अधिक सदस्य थे।

प्रशासन द्वारा जीवा की संपत्ति कब्जा की गई | लखनऊ कोर्ट हत्याकांड

हाल ही में प्रशासन द्वारा उसकी संपत्ति को कब्जा किया जा चुका है। पूर्व में, जीवा ने मुजफ्फरनगर में एक बदमाशी ग्रुप में शामिल होकर कई अपराधों को अंजाम दिया था। उसने कोलकाता में एक कारोबारी के बेटे का अपहरण किया था और फिरौती में दो करोड़ रुपये की मांग की थी। इसके बाद, उसने हरिद्वार की नाजिम गैंग और सतेंद्र बरनाला के साथ साथ एक अपने गैंग का गठन किया।

जीवा का अपराधी इतिहास: बदमाशी ग्रुप से बदमाश अपराधी तक

जीवा पहले भी 10 फरवरी 1997 को भाजपा के कार्यकर्ता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया था और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद वो मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया और उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से स्थापित हुआ।

जानकारी के अनुसार, मुख्तार को हथियारों का शौक था और जीवा के पास हथियारों को जुटाने का एक तिकड़मी नेटवर्क था। इस कारण उसे अंसारी का समर्थन मिला और इससे जीवा का नाम कृष्णानंद राय की हत्या मामले में भी जुड़ गया था।

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हालांकि, कुछ साल बाद जीवा और मुख्तार को साल 2005 में हुई कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जीवा पर 22 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें से 17 मामलों में संजीव बरी कर दिया गया था, जबकि उसके गैंग में 35 से अधिक सदस्य शामिल थे।

जीवा जेल से ही अपने गैंग की कार्यवाही करता था। उसे 2017 में व्यापारी अमित दीक्षित की हत्या के मामले में शामिल होने का आरोप लगा था। जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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