Sankashti Chaturthi : जानें सावन महीने में संकष्टी चतुर्थी मनाने का महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त एवं विधि।

Sankashti Chaturthi : संकष्टी चतुर्थी, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। आम भाषा में इसे संकशा चतुर्थी भी कहते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार संकशा या संकष्टी चतुर्थी व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। यह व्रत चंद्रमा के उदय से लेकर चंद्रमा के अस्त होने तक रखा जाता है।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करके उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है। लेकिन यह व्रत सावन के महीने में बहुत अधिक महत्व रखता हैं। क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए होता है एवं भगवान शिव को उनके पुत्र गणेश काफी प्रिय है। इसी वजह से सावन के महीने में इस व्रत को रखने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। आइए जानते हैं इस बार संकष्ट चतुर्थी कब है और पूजा का शुभ समय क्या है।

इस सावन माह में संकष्टी चतुर्थी

वैसे तो संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन किया जाता है। इस सावन महीने में यह व्रत तिथि गुरुवार 6 जुलाई को सुबह 6.30 बजे से शुरु होकर और शुक्रवार 7 जुलाई को सुबह 3.12 बजे तक होगी। इस तिथि के अनुसार गजानन संकशा चतुर्थी व्रत 6 जुलाई को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान गणपति को समर्पित है और कहा जाता है कि अगर आप इस दिन विधि-विधान से पूजा करते हैं तो आपको गणपति के साथ-साथ भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 10.41 बजे से दोपहर 12.26 बजे तक है। इसके बाद शाम 7 बजकर 23 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक भगवान की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा 6 जुलाई को ही चंद्रोदय के समय रात 10 बजकर 12 मिनिट पर चंद्रमा को जल चढ़ाने के बात व्रत तोड़ने का मुहूर्त हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi)के दिन व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन गणेश भगवान की पूजा विधि के अनुसार मूर्ति, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, वस्त्र, अक्षत आदि सामग्री से पूजा की जाती है। विधि-विधान के साथ मंत्रों का जाप और गणेश आरती करने से भगवान गणेश की प्रसन्नता होती है और व्रत का पूरा फल मिलता है।

इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आराधना से समस्त विघ्नों का नाश होता है। ज्यादातर लोग इस दिन नींदा निधि को प्राप्त करने के लिए व्रत करते हैं। संकष्टी चतुर्थी के व्रत में अगर कोई व्यक्ति एकांत में बैठकर मन्त्र-जाप और मेधा प्रार्थना करता है, तो उसे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और वह अपने जीवन में सभी संकटों से मुक्ति प्राप्त करता है।

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