India Middle East Europe Corridor : राजधानी नई दिल्ली में 9 एवं 10 सितंबर को G20 सम्मेलन में दुनिया भर के बड़े-बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। 10 सितंबर को समाप्त हुए इस सम्मेलन में कई मुद्दों पर सहमति बनी। लेकिन इस सम्मेलन के पहले दिन 9 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को व्यापारिक दृष्टिकोण फायदा पहुंचाने वाले प्रोजेक्ट की नींव रखी।
शनिवार को मोदी ने अमेरिका, सऊदी अरब और यूरोपीय नेताओं के साथ मिलकर “इंडिया मिडल ईस्ट यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर” परियोजना को लांच किया। यह यह रेल एवं पोर्ट कनेक्टिविटी परियोजना हैं।
भारत, अमेरिका, यूरोप से मध्य पूर्व के नेता इस इकोनामिक कॉरिडोर को एक ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी G20 मीटिंग के दौरान इस समझौते के बारे में कहा कि “मजबूत कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर मानव सभ्यता के विकास का मूल आधार है यह इकोनामिक कॉरिडोर भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट के बीच मजबूत रेल कनेक्टिविटी को दर्शाएगी है।
India Middle East Europe Economic Corridor पर एक नजर
दुनिया भर के नेताओं की मौजूदगी में शनिवार को G20 सम्मेलन में हुए “India Middle East Europe Economic Corridor” समझौते का मकसद भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को आपस में रेल एवं पोर्ट नेटवर्क के जरिए जोड़ना है। इस परियोजना के तहत मध्य पूर्व के देशों को एक रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही मध्य पूर्व के देशों को भारत से एक शिपिंग रूट के माध्यम से भी जोड़ा जाएगा। इसके बाद इस नेटवर्क को आगे बढ़ाते हुए यूरोप से जोड़ा जाएगा।
इस परियोजना के तहत रेल नेटवर्क के साथ-साथ बंदरगाहों का भी निर्माण किया जाएगा। यह रेल एवं शिपिंग नेटवर्क विशेष रूप से मध्य पूर्व के देशों में बिछाया जाना है।
जानकारी के लिए बता दें कि भारत से लेकर यूरोप के देशों में रेल नेटवर्क काफी घना है। लेकिन अगर बात मध्य पूर्व के देशों की करें तो वहां रेल नेटवर्क दूसरे देशों के तुलनात्मक रूप में इतना सघन नहीं है। इसलिए वहां माल ढुलाई (ट्रांसपोर्टेशन) मुख्य रूप से सड़क मार्ग या समुद्र मार्ग से की जाती है। “India Middle East Europe Economic Corridor” समझौते के रेल नेटवर्क का निर्माण होने से मध्य पूर्व के एक कोने से दूसरे कोने तक माल को पहुंचाना आसान हो जाएगा। इसके अलावा समय की भी बचत होगी।
वैश्विक व्यापार के लिए नया शिपिंग रूट उपलब्ध कराएगा
India Middle East Europe Economic Corridor के तहत बनने वाले शिपिंग नेटवर्क से वैश्विक व्यापार के लिए दुनिया भर के देशों को एक नया शिपिंग रूट उपलब्ध हो सकता। फिलहाल भारत या भारत के आसपास के देशों से यूरोपीय देशों के लिए निर्यात होने वाला माल स्वेज नहर से होते हुए भूमध्य सागर तक पहुंचता है। इसके बाद यह माल यूरोपीय देशों तक पहुंचता है।
इसके अलावा अमेरिकी महाद्वीप में स्थित देशों तक निर्यात होने वाला माल भूमध्य सागर के रास्ते अटलांटिक महासागर से होते हुए अमेरिका, कनाडा और लैटिन अमेरिका के देशों तक पहुंचता है। इसमें अभी काफी समय लगता है।
इस समझते पर विशेषज्ञों की राय
अमेरिका के डेप्युटी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जोनाथन फाइनर ने कहा कि “यह सिर्फ एक रेल परियोजना नहीं है बल्कि यह एक शिपिंग और रेल परियोजना है। लोगों को यह समझना बेहद जरूरी है कि यह कितनी खर्चीली महत्वाकांक्षी और अभूतपूर्व परियोजना है”। इसके अलावा उन्होंने समझौते को लेकर उम्मीद जताई है कि दुनिया भर में इस समझौते को एक सकारात्मक रूप में देखा जाएगा।
यूरोसिया ग्रुप के साउथ एशिया मामलों के विशेषज्ञ प्रमीत पाल चौधरी मानते हैं कि “फिलहाल मुंबई से जो कंटेनर यूरोप के लिए निकलते है, वे स्वेज नहर से होते हुए यूरोपीय देशों पहुंचते हैं। इस कॉरिडोर के बनने से में ये कंटेनर दुबई से इसराइल के हाइफा बंदरगाह तक ट्रेन से जा सकते हैं। इसके बाद काफी समय और पैसा बचाते हुए यूरोपीय देशों पहुंच सकते हैं”।
इसके अलावा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मध्य पूर्व के देशों में रेल नेटवर्क बनने से इन देशों में हालात बेहतर होंगे। एक तरफ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए-नए अफसर पैदा होंगे वहीं दूसरी ओर इससे मध्य पूर्व के देश एक दूसरे के करीब आएंगे क्योंकि रेल नेटवर्क देश को व्यापारिक रूप से करीब लाते हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन भी होगा।
इंडिया मिडल ईस्ट यूरोप इकोनामिक समझौते के तहत ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन एवं ट्रांसपोर्टेशन भी की व्यवस्था की जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समझौते को बहुत ही सकारात्मक रूप से लिया जा सकता है। क्योंकि यह दुनिया को एक नया ट्रेड मार्ग देने वाला है।
G20 में इस सम्मेलन की घोषणा होने के बाद ऐसा अनुमान लगाए जा रहा है कि भारत की व्यापार में एक बड़ा उछाल आने का अनुमान है लेकिन विशेषज्ञ ऐसा कहने में अभी जल्दबाजी समझ रहे हैं।
अभी चीन की बेल्ट एंड रोड़ परियोजना हैं चालू
चीन ने सन 2008 में चालू की अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना को चालू किया था। इस परियोजना के ज़रिए चीन ने यूरोप से लेकर अफ्रीका एवं एशिया से लेकर लैटिन अमेरिका तक अपने व्यापार को पहुंचा।
अमेरिकी थिंक टैंक एक्सपर्ट मानते हैं कि G20 में भारत, अमेरिका, यूरोप एवं मध्य पूर्व के देशों के साथ हुए India Middle East Europe Economic Corridor समझौते को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के मजबूत जवाब के रूप में मानते हैं।
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