मानसून सत्र में लोकसभा में पेश हुए तीन नए बिल: ब्रिटिश कानूनों की जगह होगा, भारतीय न्याय संहिता 2023

माननीय गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में तीन नए विधेयक प्रस्तुत किए। इनमें भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय सिविल डिफेंस संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं। ये विधेयक ब्रिटिश शासनकाल की भारतीय दंड प्रतिष्ठान (IPC), दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और साक्ष्य अधिनियम की जगह आएंगे।

तीनों विधेयकों को संसदीय समिति के लिए जांच के लिए भेजा जाएगा। इन विधेयकों में मॉब लिंचिंग और बालिकाओं के साथ बलात्कार के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा, गद्दारी से संबंधित मामलों में भी परिवर्तन किए गए हैं।

तीन विधेयकों की प्रस्तुति करते हुए अमित शाह ने कहा – पुराने कानूनों का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन को मजबूत करना और सुरक्षित बनाना था। उनके माध्यम से लोगों को न्याय नहीं सजा दी जाती थी। 1860 से 2023 तक देश की दण्ड प्रणाली ब्रिटिश कानूनों के अनुसार चल रही थी। नए विधेयकों का उद्देश्य सजा नहीं, बल्कि न्याय है।

उन्होंने कहा – प्रधानमंत्री ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की उंचाइयों से देश के सामने 5 प्रतिज्ञाएं की थीं। उनमें से एक प्रतिज्ञा थी कि हम सभी गुलामी के सभी प्रतिशेषणों को समाप्त करेंगे। जो तीन बिल मैंने आज प्रस्तुत किए हैं, वे सभी बिल मोदी जी की एक प्रतिज्ञा को पूरा कर रहे हैं।

नए विधेयकों के साथ क्या बदलेगा, इसे 10 बिंदुओं में पढ़ें…

  • देशद्रोह के प्रावधानों को नए विधेयक में पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा, जो IPC की जगह लेगा।
  • मॉब लिंचिंग और बालिकाओं के साथ बलात्कार के मामलों में फांसी की सजा देने की प्रावधानिकता होगी।
  • नागरिक सेवकों के मुकदमों को दायर करने की अनुमति 120 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए।
  • डाउड इब्राहिम जैसे भगोड़े अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की प्रावधानिकता लाई गई है।
  • उन मामलों में जहां सजा 7 वर्ष या उससे अधिक है, वहां फॉरेंसिक टीम को अपराध स्थल पर जाने की आवश्यकता होगी।
  • सेपरेटिस्ट गतिविधियों, सशस्त्र विद्रोह, देश की सम्राज्यता, एकता या अखंडता को खतरे में डालने वाले अपराधों की सूची दी जाएगी।
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • आतंकवादी गतिविधियों और संगठित अपराधों को कड़ी सजा की प्रावधानिकता के साथ जोड़ा गया है।
  • व्यक्ति को गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने के आरोप को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • 2027 तक देश के सभी कारागारों को कंप्यूटरीकृत किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी पर, उसके परिवार को सूचित किया जाएगा।

गद्दारी कानून बदला, CEC और ECs की नियुक्ति पर विनियमिति के लिए बिल पेश

नए विधेयक में गद्दारी कानून का नाम हटा दिया गया है। इसके बजाय, अब धारा 150 के तहत आरोप लगाए जाएंगे, जिसमें जीवनकाल कारावास की सजा या उसके विवरण के साथ कारावास की सजा हो सकती है, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकती है। अब अपराधियों की संपत्ति को अटैच करने का आदेश अदालत देगी, किसी पुलिस अधिकारी को नहीं। इसके अलावा, मामलों के दोषियों को 3 साल के भीतर न्याय मिलेगा। अब गद्दारी कानून को IPC की धारा 124A के तहत जाना जाता है।

सरकार द्वारा CEC और ECs की नियुक्ति पर नया विधेयक पेश, विपक्ष में विरोध: भारतीय न्याय संहिता 2023

केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया है जिसके माध्यम से मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति को विनियमित किया जाएगा। विधेयक के अनुसार, आयुक्तों की नियुक्ति एक तीन सदस्यों के पैनल द्वारा की जाएगी। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्षी नेता और मंत्रिमंडल के मंत्री शामिल होंगे।

राज्यसभा में, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी पार्टियाँ इस विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई। विपक्षी पार्टियाँ ने कहा – सरकार सुप्रीम कोर्ट को संविधान बेंच के आदेश के खिलाफ विधेयक लाकर सरकार को कमजोर कर रही है।

मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति को राष्ट्रपति की सलाह पर करना चाहिए, जिसमें प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा के विपक्षी नेता की सलाह शामिल हो।

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