Mission Samudrayaan : अंतरिक्ष के बाद अब भारत 3 लोगों को समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने को है तैयार, जानिए इस मिशन के बारे में।

Mission Samudrayaan : भारत के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष में कई बड़े-बड़े मिशन को अंजाम दिया है। फिर चाहे वह हाल ही में चंद्रमा पर छोड़ा गया चंद्रयान-3 हो, मंगलयान हो या इंसानों को अंतरिक्ष की सैर करवाने वाला गगनयान हो, इन सभी में भारत ने अपना लोहा मनवाने के बाद अब भारत समुद्र की गहराइयों को नापने की तैयारी में है।

भारत जल्द ही इंसानों को समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने की तैयारी में है। भारत अपने पहले मानवयुक्त पनडुब्बी मिशन “समुद्रयान” (Mission Samudrayaan) के तहत विकसित “मत्स्य 6000” पनडुब्बी के साथ महासागरों की गहराई का पता लगाने के लिए तैयारी कर रहा है। Mission Samudrayaan की अनुमानित लागत 4077 करोड़ रूपए बताई जा रही है। इसके पहले चरण (2021-2024) के लिए सरकार की तरफ से लगभग 2823 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने दी जानकारी।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में बताया कि भारत अपने पहले समुद्री मिशन “समुद्रयान” (Mission Samudrayaan) की तैयारी जोर शोर से कर रहा है। इस मिशन के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी समुद्र की गहराइयों में भेजने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन में पनडुब्बी तीन भारतीय विशेषज्ञों को समुद्र के नीचे 6000 मीटर की गहराई तक ले जाएगी।

Mission Samudrayaan से संबंधित पहले फेज के सभी टेस्ट साल 2024 तक पूरे कर लिए जाएंगे। इसके अलावा जहाज के 2026 तक चालू होने की पूरी उम्मीद है। “समुद्रयान” मिशन लॉन्च करने के बाद भारत उन्नत पनडुब्बी क्षमताओं वाले अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया।

क्या हासिल होगा Mission Samudrayaan से?

पृथ्वी पर मौजूद महासागरों का लगभग 95% हिस्सा आज भी अनदेखा एवं अनसुलझा है। यह आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। समुद्रयान मिशन का उद्देश्य वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के एक सेट के साथ समुद्र में 6000 मीटर तक की गहराई का पता लगाने में सक्षम स्वचालित मानव एवं मानवचालित पनडुब्बी विकसित करना है।

लगभग 4077 करोड़ रूपए की लागत वाले इस Mission Samudrayaan से समुद्र की गहराइयों में उपस्थित असीमित संसाधनों के भंडारण की जानकारी मिलेगी एवं समुद्र में मौजूद खनिजों की खोज भी की जाएगी। भारत सरकार द्वारा इस समुद्री मिशन से भारत को “ब्लू इकोनामी” के जरिए आर्थिक विकास में मजबूती प्रदान करने की कोशिश होगी।

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