Manipur Riots: सेना के जनरल ने क्या कहा…दंगों के पीछे का असली कारण

MANIPUR RIOTS: मणिपुर में हाल ही में हिंसा और उपद्रव के मामलों की वजह से सुर्खियां बनी हुई हैं। मंगलवार को पुणे में, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने बताया कि मणिपुर में हालात सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में हिंसा दो जातियों के बीच संघर्ष का परिणाम है और इसका उग्रवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है। इसे कानून-व्यवस्था के मामले के रूप में देखना चाहिए। वे राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं।

इसके अलावा मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया है कि इस हिंसा के दौरान मिलिटेंट लोगों ने आम नागरिकों के खिलाफ M-16, Ak-47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल किया है। इस दौरान राज्य में हाल ही में 40 लोगों की मौत हुई है | मुख्यमंत्री ने उन्हें मिलिटेंट घोषित किया था।

गृह मंत्री अमित शाह का मणिपुर दौरा

Amit shah in manipur meeting
Amit shah in manipur meeting

गृह मंत्री अमित शाह ने भी मणिपुर की राजधानी इंफाल का दौरा किया है और यहां 1 जून तक रहेंगे। उन्होंने वहां पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मीटिंग की है। उनके साथ इस मीटिंग में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ तपन डेका मौजूद थे। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को अफसरों और सामाजिक संगठनों के साथ एक बैठक भी की है। वे इस दौरान 1 जून तक कई सुरक्षा बैठकें आयोजित करेंगे। उससे पहले ही मणिपुर सरकार ने राज्य में हिंसा को लेकर फेक न्यूज फैलाने वालों पर राजद्रोह के केस दर्ज करने का आदेश जारी किया है।

कांग्रेस पार्टी की डेलिगेशन राष्ट्रपति से मुलाकात करने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंची | Manipur Riots

कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने बताया है कि पार्टी नेताओं की एक डेलिगेशन राष्ट्रपति से मुलाकात करने के लिए मिलकर राष्ट्रपति भवन पहुंची है। इस मुलाकात के दौरान डेलिगेशन ने मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर राष्ट्रपति को एक मेमोरेंडम सौंपा है।

Manipur riots में 80 लोगों की मौत, रेस्क्यू अभियान जारी

इसके साथ ही ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, मणिपुर में हिंसा के चलते अब तक करीब 80 लोगों की मौत हो गई है। सेना और असम राइफल्स ने इस हालत को देखते हुए एक रेस्क्यू अभियान चलाया है, जिसमें 2,000 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। यह अभियान खासकर कुकी जनजाति और मेइती समुदाय के ग्रामीणों के लिए आयोजित किया गया है।

मणिपुर में, मैतेई समुदाय और नागा जनजाति के बीच विवाद है। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग है, जबकि नागा और कुकी जनजाति इसके विरोध में हैं। विवाद के कारण कई क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं भी बंद की गई हैं। सेना और अर्धसैनिक बलों ने मैतेई समुदाय के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई की है और कुछ लोगों को पलायन कराया गया है।

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जानें पूरा विवाद: Manipur Riots

  1. मणिपुर में आबादी के आधार पर देखें तो, लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा लोग मैतेई समुदाय के हैं। मैतेई समुदाय का बड़ा हिस्सा इंफाल घाटी में बसा हुआ है, जो कि मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10% है। हाल ही में, मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के बारे में सरकार से विचार करने के निर्देश जारी किए हैं।
  2. मैतेई समुदाय की आरक्षण के पीछे का कारण है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पहले मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा प्राप्त था। हालांकि, पिछले 70 साल में मैतेई समुदाय की आबादी में गिरावट हुई है और उनका आंकड़ा लगभग 50% तक पहुंच गया है। मैतेई समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए आरक्षण की मांग कर रहा है।
  3. मणिपुर के नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय के आरक्षण के विरोध में हैं। इन जनजातियों की आबादी राज्य की कुल आबादी का 34% है। ये दावा कर रहे हैं कि मैतेई समुदाय इंफाल घाटी में पहले से ही 60 से 40 विधानसभा सीटों पर बहुल हैं, जिससे मैतेई समुदाय का पहले से ही राजनीतिक दबदबा है। नगा और कुकी जनजाति को चिंता है कि मैतेई समुदाय को एसटी आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा। साथ ही, मौजूदा कानून के तहत मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बसने की अनुमति नहीं है।
  4. हालिया हिंसा का कारण भी मैतेई आरक्षण मुद्दे से जुड़ा है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वन क्षेत्र में निवास करने वाले नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए उन्हें वहां से निकालने के आदेश जारी किए थे। इससे नगा और कुकी जनजाति आपत्तिजनक हुई थी। मैतेई समुदाय हिंदू धर्मावलंबी है, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म के अनुयायी हैं।

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