मणिपुर के चुराचंदपुर और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में एक गंभीर हिंसा का मामला सामने आया है। इस हिंसा के पीछे की कहानी आपको हैरान कर देगी। कुकी समुदाय ने शांति की रैली का आयोजन किया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस रैली के पीछे छिपी एक पूर्व-नियोजित योजना थी? हाँ, आपने सही सुना। इसका मकसद था मेटेई समुदाय के साथ सांप्रदायिक हिंसा को पैदा करना ।
रैली के बाद, जब लोग सोच रहे थे कि अब सब शांत हो जाएगा, तब कुकी ने अपनी हत्यारों से भरी एक बड़ी संख्या में लोग तोरबोंग आ गए। यहाँ तक कि उनका इंतजाम पहले से ही था। यह उनकी सोची समझी साजिश का हिस्सा था, मेटेई समुदाय के साथ धर्म-संबंधी विवाद पैदा करना। और इसी खेल की वजह से इस तरह की हिंसा मणिपुर में फैल गई है। तोरबोंग वो क्षेत्र है जहा मेटेई समुदाय के लोग रहते है |
मणिपुर हिंसा: उठते सवाल, बढ़ती चिंताएं, और सरकारी कार्रवाई की मांग
इस हिंसा के दौरान कुकी ने मीटेई (हिंदू) समुदाय के लोगों के घरों को जलाकर राख में बदल दिया, ये हिंसा इतनी भीषण थी की हर जगह आग की लपटे ही नज़र आ रही थी| जिसमे 6 महीने के बच्चे को भी आग के हवाले कर दिया गया रिपोर्ट के अनुसार कुकी ने चुराचंदपुर में कई मीटेई महिलाओं के साथ खुलेआम बलात्कार भी किया गया है। जो की एक बहुत शर्मनाक बात है |
अब सवाल यह है कि क्या इस हिंसा को रोकने के लिए सरकारी नीतियों में संशोधन की ज़रूरत है? क्या सरकार मणिपुर में हुई हिंसा पर सख्ती दिखाएगी | सरकार को गंभीरता से इस मामले का लेना चाहिए और जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि इस तरह की हिंसा को रोका जा सके और देश की सुरक्षा और एकता की गारंटी बना सके। और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कानूनी करवाई की जाये |
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