आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अविष्कारक ज्योफ्री हिंटन ने चेतावनी देते हुए Google से दिया इस्तीफा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के गॉडफादर के रुप में पहचाने जाने वाले ब्रिटिश शोधकर्ता और अकादमिक ज्योफ्री हिंटन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रभाव का परीक्षण किए बिना लगातर बढ़ने से इससे होने वाले खतरों को ध्यान में रखते हुए चेतावनी दी है। इस वजह से उन्होंने Google के साथ अपने लगभग एक दशक लंबे सफर को समाप्त कर दिया है।

कनाडा के ज्योफ्री हिंटन ने सोमवार 1 मई को एक ट्वीट किया। ट्वीट में उन्होंने कहा, “मैंने Google छोड़ दिया ताकि मैं AI के खतरों के बारे में बात कर सकूं, बिना यह विचार किए कि यह Google को कैसे प्रभावित करता है,” यह कहते हुए कि कंपनी ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस विकास की दिशा में “बहुत जिम्मेदारी से” काम किया है। Google ने इस साल Google Bard नाम के अपने AI चैटबॉट का परीक्षण शुरू किया।

ज्योफ्री हिंटन ने दो छात्रों के साथ मिलकर तैयार किया था एल्गोरिदम

ज्योफ्री हिंटन ने Google में एक दशक से भी अधिक समय तक काम किया है। वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में सबसे सम्मानित शख्तियत में से एक हैं।

टोरंटो में 2012 में दो स्नातक छात्रों के साथ काम करते हुए ज्योफ्री हिंटन को आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI) के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिली थी। हिंटन सहित तीनों ने सफलतापूर्वक एक एल्गोरिदम तैयार किया था। यह एल्गोरिदम तस्वीरों को एनालाइज कर सकते थे और कुत्तों और कारों जैसे सामान्य तत्वों की पहचान कर सकते थे।

CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, आज के समय के ChatGPT जैसे आज के कई उत्पादों को ताकत मिलने के पीछे हिंटन का बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने न्यूरल नेटवर्क पर उनके महत्त्वपूर्ण प्रयासों ने AI सिस्टम को भी एक नया आकार दिया हालाकि उन्होंने बीबीसी को बताया कि चैटबॉट जल्द ही मानव मस्तिष्क की जानकारी के स्तर को पार कर सकते हैं।

यूके की रॉयल सोसाइटी द्वारा हिंटन की प्रोफ़ाइल में लिखा गया है कि आर्टिफीशियल न्यूरल नेटवर्क का विकास होने से एक ऐसी मशीन के निर्माण की शुरुवात हो सकती है जो “ऑटोनोमस इंटेलीजेंस ब्रैन” के सिद्धांत पर काम करेगी।

वे आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से होने वाले सम्भावित लाभों के बारे में आशा रखते हैं, अन्य AI के विकास में नैतिक विचारों की कमी के बारे में हिंटन की चिंताओं को साझा करते हैं। डेटा गोपनीयता, डीपफेक, बेरोजगारी, और मजबूत नियामक ढांचे की आवश्यकता के बारे में भी चिंताएं सामने आई हैं।

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