कुलगाम में आतंकियों ने सेना के जवान का अपहरण किया: कार में मिले खून के निशान, पोस्टिंग लेह में थी, ईद पर घर लौटा

कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों ने सेना के एक जवान, जावेद अहमद वानी को अगवा कर लिया है। इस चौंकाने वाले हमले के बाद सेना ने तत्काल कदम उठाया है और खोज अभियान शुरू कर दिया है। 25 साल के जवान जावेद वानी की पोस्टिंग लेह में थी।

कुलगाम से चावलगाम जा रहे थे वानी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शनिवार की रात को, लगभग 8 बजे, जावेद अहमद वानी अपनी कार से चावलगाम जा रहे थे। उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि कुछ ही घंटों में उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। तभी आतंकवादी उन्हें उनकी कार से किडनैप कर ले गए। जवान की चप्पलें और खून के निशानों के साथ पुलिस को इस हादसे की जानकारी मिली।

वानी के माता-पिता ने की आतंकियो से उनके बेटे को छोड़ने की अपील

वानी के माता-पिता ने दिल दहला देने वाली खबर सुनते ही आतंकवादियों से उनके बेटे को छोड़ने की गुहार लगाई है। वानी ईद के मौके पर घर पर छुट्टी मनाने आए थे। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद स्थानीय लोग उन्हें ढूंढने में जुट गए। अन्ततः, सेना और पुलिस के संयुक्त अभियान के तहत वानी की अनलॉक कार को कुलगाम के पास ही प्रानहाल से बरामद किया गया। कार से जवान की चप्पलें और खून के निशान मिले हैं। जिसके बाद , क्षेत्र में नाकाबंदी कर दी गई है |

सेना ने खोज अभियान के तहत वानी की खोज कार्यवाही तीव्रता से चला रही है। स्थानीय लोगों की मदद से खोज कर रही सेना की टीम उम्मीदवार है कि जल्द ही वे जवान को सुरक्षित वापस लौटा देंगे।

पहले भी कई बार सेना के जवानो को बनाया गया निशाना

दुखद बात यह है कि दिल दहला देने वाली यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा सेना के जवानों को बेरहमी से निशाना बनाने की कई घटनाएं देखी गई हैं। मई 2017 में भी आतंकी समूहों ने सेना के एक अधिकारी औरंगजेब को अगवा किया था, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। औरंगजेब एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए जा रहा था, जब आतंकी समूहों ने उस पर हमला किया था।

औरंगजेब का शव बुधवार की सुबह को हरमैन इलाके में उसके घर से करीब तीन किलोमीटर दूर मिला था।

इस हमले के साथ ही, एक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना में भी दो सेना जवानों को आतंकी समूहों ने उसी वक्त मार दिया था, जब वे छुट्टी पर अपने घर गए हुए थे। शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज और जवान इरफान अहमद डार भी उन आतंकी हमलों के शिकार बने थे।

क्या है SOP? क्यों होता है सेना में इसका पालन करना जरुरी

सेना के अधिकारियों ने फैयाज और डार जैसे वीर जवानों को खोने के बाद स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन करने का फैसला किया। यह निर्णय सेना के व्यवस्थापक विधियों के अनुसार किया गया था जिससे सेना के कर्मियों की सुरक्षा और कश्मीर घाटी में तैनात कर्मियों की जानकारी को बेहतर बनाया जा सके। इस फैसले के तहत, सेना ने कश्मीर घाटी के कर्मियों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए विशेष एकीकृत योजना बनाई और उनके घर के पास स्थित सेना यूनिट को जानकारी देने की व्यवस्था की गई।

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