खुशवंत सिंह एक जानी मानी शख्सियत|

खुशवंत सिंह भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं पत्रकार थे। उन्होने अपने हास्य व्यंग और कविताओं से पश्चिमी देशों और भारतीय समाज की समाजिक एवं व्यावहारिक की तुलना बहुत ही अनोखे अंदाज में की। आज 2 फ़रवरी को उनका जन्मदिन है तो आइए खुशवंत सिंह जी के बारे में कुछ अनकही बातों को जानते हैं।

खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी, 1915 को पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था। उन्होंने लाहौर के एक सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में किंग्स कॉलेज, लंदन से बैरिस्टर के रूप में योग्यता प्राप्त की।
The Telegraph और भारत के कई प्रसिद्ध समाचार पत्रों में प्रकाशित खुसवंत सिंह का साप्ताहिक कॉलम, “With Malice towards One and All” देश में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले कॉलम में से एक रहा है।

प्रसिद्धि का दौर

अल्लामा इक़बाल द्वारा लिखी गई ये नज़्म जिसमें खुदा बताता है कि उसने हमेशा अपने बंदों की परवाह की है। खुशवंत सिंह ने इस नज्म का इंग्लिश में अनुवाद करके लाखों-करोड़ों उन लोगों को पहुंचा दिया जो उर्दू नहीं जानते थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन पर लिखी गई उनके उपन्यास Train To Pakistan की वजह से वह ज्यादा प्रसिद्ध हुए लेकिन उनके द्वारा लिखा गया ग्रंथ A History of Sikh’s की वजह से हर व्यक्ति तक अपनी कलम की ताकत पहुचाई।

खुशवंत सिंह
खुशवंत सिंह

MJ Akbar जी ने सबसे पहले खुशवंत सिंह जी को Illustrated Weekly of INDIA मैगजीन में काम करने का मौका दिया था। जब वे भारत में अंग्रेजी भाषा में छपने वाली इस न्यूज़ मैगजीन Illustrated Weekly of India के संपादक बने तो उन्होंने इस मैगजीन की कायापलट ही कर दी उन्होंने इस मैगजीन के सरकुलेशन को 80000 से बढ़ाकर 425000 तक पहुंचा दिया।

नियम पाबंद एवं खुशमिजाज शख्सियत

खुशवंत सिंह हमेशा ही बड़बोलेपन और दुस्साहस के लिए जाने जाते रहे हैं। लेकिन उनकी इस छवि के विरुद्ध वह एक बहुत ही खुश दिल एवं नियम पाबंद व्यक्ति थे। समय पाबंदी इस हद तक थी कि उनके घर के दरवाजे पर लिखा हुआ था कि अगर आपने अपॉइंटमेंट न ली हो तो कृपया घंटी ना बजाएं।

खुशवंत सिंह जी के बेटे राहुल सिंह के अनुसार वह बहुत ही अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे उनकी दिनचर्या हमेशा ही फिक्स रहती थी, फिर चाहें सुबह उठकर खुद चाय बनाना हो गया दिन भर का काम, किताब लिखना हो या फिर रात में पार्टी के लिए दोस्तों को बुलाना यह सब एक तय रूटीन के हिसाब से ही होता था।

खुशवंत सिंह को जानने वाले बताते थे कि वह बहुत ही ईमानदार व्यक्ति है लेकिन मजे की बात यह है कि खुशवंत सिंह खुद को कभी भी एक ईमानदार नहीं मानते थे। कुछ बंद सिंह जी को चटपटी और कंट्रोवर्शियल बातें करना बहुत पसंद था। हर चीज पर खुला दृष्टिकोण रखने वाले खुशवंत सिंह जी दूसरों पर भी हंसते थे और खुद पर भी। ईश्वर पर विश्वास न करते हुए भी वे खुद के सिख होने पर काफ़ी गौरवान्वित महसूस करते थे।

खुशवंत सिंह को कई पुरुस्कार मिले और लौटाए भी

खुशवंत सिंह को 1974 में देश और समाज के लिए उनकी सेवाओं के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने भारतीय सेना द्वारा स्वर्ण मंदिर पर घेराबंदी के विरोध में 1984 में सम्मान वापस कर दिया था।
संपादक के रूप में उनके समय के दौरान, द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया बेहद लोकप्रिय हुआ, और उनके बाद, इसके पाठकों की संख्या में भारी गिरावट आई। वह 1986 तक भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के सदस्य भी थे।

2006 में, नई दिल्ली में रोली बुक्स ने भारत-पाकिस्तान विभाजन के बारे में सिंह के 1956 के उपन्यास, Train To Pakistan का एक नया संस्करण प्रकाशित किया। नए संस्करण में हिंसा के बाद के फोटो जर्नलिस्ट मार्गरेट बॉर्के-व्हाइट की 66 तस्वीरों को दिखाया गया है। 2006 के अंत में, रोली फ्रैंकफर्ट बुक फेयर में संस्करण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय वितरक खोजने की उम्मीद कर रही थी। जुलाई 2000 में, सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन ने उन्हें उनके “शानदार लेखन” में उनके साहस और ईमानदारी के लिए Sulabh International के द्वारा “Honest Man of the Year ” से सम्मानित किया।

20 फरवरी, 2006 को, दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग ने खुशवंत सिंह को उनके लंबे और घटनापूर्ण लेखन करियर के लिए एक विशेष सम्मान दिया, जिसकी शुरुआत उन वर्षों में हुई थी, जब उन्होंने भारतीय उच्चायोग में एक युवा राजनयिक के रूप में कनाडा में बिताया था। 2007 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, उन्हें 2010 में साहित्य अकादमी ऑफ़ इंडिया द्वारा साहित्य अकादमी फैलोशिप से सम्मानित किया गया था। उनकी नई रिलीज़ “द सनसेट क्लब“, 2010 थी |

खुशवंत सिंह जी की मृत्यु 99 वर्ष की उम्र में 20 मार्च 2014 को नई दिल्ली में हुई थी।

Newsadda360 के Latest News अपडेट पाने के लिए हमारा Newsletter Subscribe करें|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *