भगवान जगन्नाथ मंदिर की विशाल रसोई: दुनिया की सबसे बड़ी रसोई

भगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरी में स्थित रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। इस विशाल रसोई में 752 चूल्हे हैं और लगभग 500 रसोइए और 300 सहयोगी काम करते हैं। इस रसोई में भगवान को चढ़ाये जाने वाले महाप्रसाद को तैयार किया जाता है। मिट्टी की सात सौ (700) हंडियों में पकाया जाने वाला प्रसाद शाकाहारी होता है। इस रसोई में अनेक प्रकार के भोग बनाए जाते हैं और रोज़ाना कम से कम 10 तरह की मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं। यहां एक साथ आठ लाख लड्डू बनाने का रिकॉर्ड भी है। इस अद्भुत रसोई में रोज़ाना 50 हजार लोगों के लिए महाप्रसाद तैयार होता है।

विस्तार

भगवान जगन्नाथ मंदिर, पुरी की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है जो एक विशाल एकड़ में फैली हुई है। यहां 752 चूल्हे और 32 कमरे उपलब्ध हैं और इन चूल्हों का उपयोग भगवान् को चढ़ाये जाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए किया जाता है। रसोई में लगभग 500 रसोइए और 300 सहयोगी काम करते हैं जो दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करते हैं।

World biggest kitchen (Rasoi)
World biggest kitchen (Rasoi)

महाप्रसाद जिसे “नेलाचल अन्न” भी कहा जाता है, को तैयार करने के लिए इस रसोई में मिट्टी की सात सौ (700) हंडियों का प्रयोग होता है। प्रतिदिन लाखों लोगों के भोग को प्रसाद रूप में बांटा जाता है और यह भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। इस रसोई में भोग की विविधता है, मंदिर की रसोई में लगभग 56 प्रकार के भोगों का निर्माण किया जाता है, जहां रोज़ कम से कम 10 तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। जो भक्तों को सर्वान्न भोग में सेवित की जाती हैं। यहां प्रसाद बनाने के लिए शक्कर के स्थान पर अच्छे किस्म का गुड़ उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा, यहां आलू, टमाटर और फूलगोभी का उपयोग नहीं होता है और प्याज व लहसुन का प्रयोग भी निषिद्ध है। यह सब नियम और परंपराएं धार्मिक अहमियत के साथ जुड़ी हुई हैं।

प्राचीनता, महत्व और मान्यताएं

मंदिर के पास ही दो कुएं हैं, जिन्हें “गंगा” और “यमुना” के नाम से जाना जाता है। केवल इनसे निकले पानी से ही भोग का निर्माण किया जाता है, जो इस रसोई के आनंद को और भी अद्भुत बनाता है।

जगन्नाथ मंदिर के अलावा, इस मंदिर को पुरी के इतिहास, मान्यताएं और आकर्षणों के साथ भी जाना जाता है। यह मंदिर कर्णाटक और ओडिशा राज्यों के बीच सीमित है, और यहां प्रतिवर्ष लाखों भक्त देवी और देवताओं की आराधना करने आते हैं। मंदिर के आस-पास खूबसूरत वातावरण, प्राचीन कार्यालय, और धार्मिक स्थलों की व्यापकता को देखते हुए इसे ओडिशा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी माना जाता है।

मंदिर का निर्माण काल अत्यंत प्राचीन है और इसे जगन्नाथ पुरी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और इसे श्री चैतन्य महाप्रभु ने भी यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान माना है। मंदिर के आस-पास का स्थान पुरी का एक पवित्र स्थान है और यहां आने वाले श्रद्धालु लोग अपने आध्यात्मिक और धार्मिक आनंद का अनुभव करते हैं।

अषाढ़ मास की रथ यात्रा | जगन्नाथ मंदिर

भगवान जगन्नाथ मंदिर के मूल भगवान जगन्नाथ के साथ दूसरे दो भगवान बलभद्र और सुभद्रा भी पूजे जाते हैं। इस मंदिर के चारों ओर एक विशाल परिक्रमा मार्ग है, जिसे “बड़ा द्वार” के नाम से जाना जाता है | हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष को रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ के मूर्तियों को रथ में स्थानांतरित किया जाता है। यह यात्रा देश-विदेश से आए भक्तों की भीड़ को आकर्षित करती है और विशेष धार्मिक महत्व रखती है।

रामायण काल का विचित्र मंदिर, जो विज्ञान के समझ से परे है

भगवान जगन्नाथ मंदिर की विशाल रसोई: गिनीज़ बुक में दर्ज,

वास्तव में, जगन्नाथ मंदिर की विशाल रसोई को गिनीज़ बुक में दर्ज किया गया है। यह रसोई एक ऐसी स्थानीय प्रथा है जहां खाना बनाने के लिए बड़ी संख्या में वॉलंटियर कार्य करते हैं और लगभग 1,00,000 लोगों को खाना खिलाया जाता है। यहां पर प्रतिदिन कई प्रकार के भोजन तैयार किए जाते हैं, जो भक्तों को दान प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं। इस रसोई की सामर्थ्य और संगठन को गिनीज़ बुक द्वारा मान्यता प्राप्त होना भगवान जगन्नाथ मंदिर के लिए गर्व की बात है।

इस विशाल रसोई और मंदिर का महत्व व सम्मान खुद भक्तों के मन में गहरी भावना और श्रद्धा भरता है।

सभी नवीनतम समाचारदुनिया समाचारक्रिकेट समाचारबॉलीवुड समाचार, पढ़ें,

राजनीति समाचार और मनोरंजन समाचार यहाँ। हमे फेसबुकगूगल न्यूज़ तथा ट्विटर पर फॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *