Chandrayaan-3 : एक बार फिर उड़ान भरने को तैयार है चंद्रयान, लॉन्च व्हीकल से जोड़ा गया।

Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने अंतरिक्ष अभियान चंद्रयान की प्रगति की ओर दिन प्रतिदिन आगे बढ़ रहा है। ISRO ने बुधवार 5 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में अपने चंद्रयान अभियान के तहत चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को इसे लॉन्च वाहन, LVM 3 (Launch Vehicle Mark -III) के साथ सफलतापूर्वक जोड़ दिया गया है। इसकी जानकारी स्वयं ISRO ने ट्वीट करके दी। ISRO ने अपने ट्वीट में कहा कि “आज, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान 3 वाली एनकैप्सूलेटेड असेंबली को LVM 3 के साथ जोड़ा गया है”

आपको बता दें कि Chandrayaan-3 इसी माह 12 जुलाई से 19 जुलाई के बीच लॉन्च हो सकता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसको लॉन्च करने की कोई तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पहले ही संकेत दिया था कि ISRO निर्धारित समय के भीतर यान को लॉन्च करने के लिए जल्द से जल्द संभव तरीकों को चुनेगा।

Chandrayaan-3 की कुल निर्माण लागत लगभग 615 करोड़ है। यह भारत का तीसरा Moon Mission है। चंद्रयान का प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सफल लैंडिंग करना है।

Chandrayaan-3 को LVM 3 से क्यों जोड़ा गया?

यहां आपका जानना यह जरूरी है कि कोई भी अंतरिक्ष यान अपने आप अंतरिक्ष की यात्रा नहीं कर सकता, उसे अंतरिक्ष में ले जाने के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव पर काबू पाकर इन उपग्रहों को ले जाने के लिए शक्तिशाली क्षमता वाले रॉकेट या LVM 3 जैसे लॉन्चिंग वाहनों की आवश्यकता होती है।

चंद्रयान 3 अभियान चंद्रमा की सतह पर रोवर और लैंडर जैसे वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाकर थर्मोफिजिकल गुणों, चंद्र भूकंपीयता, चंद्र सतह प्लाज्मा, पर्यावरण और तत्व संरचना का अध्ययन करने के लिए चलाया जा रहा है।

चंद्रयान 3 के बारे में कुछ जानकारी।

चंद्रयान 3, चंद्रयान 2 अधूरे मिशन को पूरा करने वाला मिशन है। चंद्रयान 2 को 22 जुलाई 2019 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। परंतु 6 सितंबर को चंद्रयान 2 अपने मिशन के दौरान लैंडर लैंडिंग से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर अपने मार्ग से भटक गया। जिसके परिणाम स्वरूप ISRO का चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया। बाद में ISRO द्वारा चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर और रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना दी। इसी तरह चंद्रयान-2 अभियान विफल हो गया।

बता दें कि चंद्रयान अभियान का प्रथम यान चंद्रयान-1 को 8 अक्टूबर 2008 को चंद्रमा पर भेजा गया था। यह 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा था। जिसके बाद भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवा देश बन गया था। इससे पहले केवल अमेरिका, रूस चीन और जापान अपने-अपने यान चंद्रमा पर भेज चुके थे।

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