कनाडाई PM Justin Trudeau के आरोपों के बाद दोनों देशों के संबंधों पर पड़ने वाले कूटनीतिक, व्यापारिक असर को समझें; संबंधों का इतिहास नहीं है अच्छा- विस्तार से समझें

कनाडाई प्रधानमंत्री Justin Trudeau द्वारा खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाने के बाद 19 सितंबर को भारत द्वारा कड़े शब्दों में इसका जवाब दिया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडाई पीएम के इन आरोपों को बेतुका बताया है। इसके बाद अब भारत और कनाडा के बीच संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। गौरतलब है कि 10 दिन पहले ही जस्टिन ट्रूडो G-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे। इसके बाद उनके इस तरह के विस्फोटक आरोपों के बाद भारत को एक अभूतपूर्व राजनयिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

भारत-कनाडा के संबंधों का इतिहास नहीं है अच्छा

यह पहली बार नहीं है जब कनाडा की तरफ से भारत के लिए इस तरह का रवैया अपनाया गया है। अगर इतिहास में झांक कर देखें तो भारत और कनाडा के संबंधों में दरार आजादी के समय से ही रही है, जब 1948 में कनाडा ने कश्मीर में जनमत संग्रह का समर्थन किया था।

अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में 1998 में भारत द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों के बाद भी कनाडा ने इस पर आपत्ति जताते हुए अपने राजदूत को भारत से वापस बुला लिया था।

मौजूदा पीएम Justin Trudeau के भी 2015 में सत्ता संभालने के बाद से ही उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मतभेद रहे हैं। 2017 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन पर अलगाववादियों से मिले होने का आरोप लगाते हुए उनसे मिलने से इनकार कर दिया था।

पिछले साल मार्च 2022 में Justin Trudeau की पार्टी ने जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन किया था। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी यह वही पार्टी है जिसने कनाडा में खालिस्तान जनमत संग्रह का खुले तौर पर समर्थन किया था।

Justin Trudeau के इन आरोपों से India-Canada के संबंधों पर पड़ेगा असर

पिछले 33 सालों से लेकर Justin Trudeau के 8 साल के कार्यकाल तक खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। लेकिन इस बार कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए सीधे तौर पर आरोपों से ओटाव और नई दिल्ली के संबंधों में तेजी से गिरावट आएगी।

प्रवासी भारतीयों पर असर

कनाडा में एक बहुत बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं। मौजूदा समय में कनाडा में भारतीय मूल के लगभग 16 लाख लोग रहते हैं जो कनाडा की कुल आबादी का लगभग 3% है। भारत से विदेश में पढ़ने जाने वाले छात्रों में सबसे अधिक कनाडा में ही जाते हैं। 2022 के आंकड़ों के हिसाब से कनाडा में लगभग 2.3 लाख भारतीय छात्र हैं।

राजनीतिक स्तर पर भारत और कनाडा के खराब संबंधों का असर निश्चित तौर पर वहां रहने वाले प्रवासी भारतीयों पर भी पड़ेगा। इसके अलावा वहां रहने वाले भारतीय छात्र भी खराब माहौल का शिकार हो सकते हैं।

दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर असर

वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत और कनाडा के बीच कुल व्यापार 11.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। हालांकि यह दोनों देशों की व्यापारिक क्षमता से काफी कम है लेकिन बता दे कि भारत दालों के कुल आयात का 30% कनाडा से आयात करता है। इसके अलावा कनाडा ने भी संचय रूप से भारत में लगभग 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। इस तरह से दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध खराब होने से व्यापार पर असर पड़ना लाजमी है।

Justin Trudeau; कूटनीतिक संबंधों पर असर

कनाडाई प्रधानमंत्री Justin Trudeau ने भारत पर यह आरोप G20 सम्मेलन की सफलता के बाद लगाया। हालांकि ट्रूडो ने यह भी कहा था कि उन्होंने G20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी से इस संबंध में सहयोग करने को कहा था लेकिन भारत की तरफ से एक पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

बता दें कि कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ खुफिया जानकारी शेयर करने वाले समूह फाइव आइस ग्रुप (Five Eyes) का हिस्सा है। अब यदि कनाडा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में फाइव आइस ग्रुप (Five Eyes) में जानकारी शेयर करता है तो इसकी बड़े स्तर पर जांच होगी। अभी तक कनाडा ने अमेरिका एवं ब्रिटेन से इस संबंध में बात की है।

फाइव आइस ग्रुप (Five Eyes) के सभी देश खासकर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के मजबूत कूटनीतिक संबंध है। इस घटना के बाद इन संबंधों पर भी असर पड़ने की संभावना है।

ट्रूडो ने इन आरोपों के बाद कहा था कि भारत सरकार को इस मामले को कनाडा की तरह बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस मामले के अंतरराष्ट्रीय कानून में दूरगामी परिणाम होंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हम भारत को भड़काने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। सीधे तौर पर इस घटना से समझा जा सकता है कि कनाडा के इस तरह के आरोपों से भारत के दुनिया भर के देशों के साथ संबंधों पर असर पड़ने की संभावना है।

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