सूरत की तंग गलियों में हर जगह हीरों की चमक देखी जा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के 90 फीसदी तराशे हुए हीरे इसी शहर में तैयार किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि 1938 में ताप्ती नदी के तट पर केवल 65 श्रमिकों के साथ एक छोटे से कारखाने में हीरा काटने का व्यवसाय शुरू हुआ। हालांकि, वास्तविक गति 1960 के दशक में पकड़ी गई जब गुजरात में पटेल समुदाय ने रब हीरे का प्रसंस्करण और निर्यात शुरू किया।
1970 में सूरत में केवल 20,000 कर्मचारी इस व्यवसाय में लगे हुए थे। लेकिन आज यह उद्योग 50 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इतना ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की कई बड़ी कंपनियों ने हीरा प्रसंस्करण के लिए सूरत को अपने गंतव्य के रूप में चुना है।
अर्थव्यवस्था के लिए सूरत के हीरा उद्योग का महत्व
सूरत का हीरा उद्योग न केवल उत्पादन के मामले में बल्कि नवा चार के मामले में भी महत्वपूर्ण है। उद्योग ने नवीनतम तकनीकों को अपनाया है, जिसमें Galaxy Scanning मशीन भी शामिल है, जो software के माध्यम से हीरों को 3डी छवियों में परिवर्तित करती है, और फिर polish किए जाने से पहले एक काटने की प्रक्रिया से गुजरती है। इस उन्नत तकनीक ने प्रक्रिया को बहुत तेज और अधिक सटीक बना दिया है।
हीरा उद्योग एक संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र है जिसमें हीरे को काटना, Polish करना और आकार देना शामिल है। यह जन शक्ति, अनुकूलन क्षमता, प्रौद्योगिकी, लागत-प्रभावशीलता और ग्राहक वरीयता का एक सम्मेलन है। इसने सूरत को दुनिया में नंबर एक हीरा प्रसंस्करण शहर बना दिया है और ऐसा ही बने रहने की संभावना है।
शहर की अर्थव्यवस्था में हीरा उद्योग के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है। सूरत इस उद्योग का केंद्र बन गया है, और यह हीरा शिक्षा के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी उभरा है। शहर ने वैश्विक हीरा उद्योग के कार्य बल में लगभग 10% का योगदान दिया है।