सोनम वांगचुक: लद्दाख को बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से की अपील। पहाड़ों पर 5 दिन के अनशन पर बैठेंगे

लेह: लद्दाख के शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक को कौन नहीं जानता होगा। बॉलीवुड की मशहूर फिल्म 3 इडियट भी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर ही बनाई गई थी। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया और यूट्यूब पर एक वीडियो शेयर किया है। लगभग 14 मिनट लंबे वीडियो में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लद्दाख (भारतीय हिमालय में) की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। उन्होंन पर्यावरण की दृष्टि से अति “संवेदनशील क्षेत्र” की रक्षा में ‘तत्काल’ मदद करने की अपील की है। उन्होंने भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत पारिस्थितिकी तंत्र में हस्तक्षेप करने और उसकी रक्षा करने की भी मांग की है. क्योंकि अध्ययनों के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश में लगभग दो-तिहाई ग्लेशियरों के विलुप्त होने के बारे में बताया। वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह करते हुऐ कहा है कि लद्दाख की सुरक्षा में और ढलाई न दी जाए। इसके अतिरिक्त वहां पर अगर कंस्ट्रक्शन का काम बढ़ाया गया और बाहर से लोग और आए अगर तो लद्दाख का वातावरण इसे सहन नहीं पाएगा और यह प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा। वीडियो में उन्होंने बताया है कि किस तरह उन्होंने 2019 के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की थी और मोदी ने भी उन्हें भरोसा दिया था कि वह इस दिशा में काम करेंगे और उसके बाद सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई कार्यवाही ना होने से वह निराश है।

रविवार को ANI से बात करते हुए, सोनम वांगचुक ने जोर देकर कहा कि अगर इसी तरह की लापरवाही जारी रही और लद्दाख ने उद्योगों से सुरक्षा प्रदान करने से परहेज किया गया, तो यहां के ग्लेशियर भी विलुप्त हो जाएंगे, इस प्रकार लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में पानी की कमी के कारण भारी समस्या पैदा हो जाएगी. आपको बता दें कि लद्दाख के लोग पानी की पूर्ति के लिए ज्यादातर ग्लेशियरों पर ही निर्भर रहते हैं।
इसी के साथ उन्होंने कहा, “यदि उपाय नहीं किए जाते हैं, तो उद्योग, पर्यटन और वाणिज्य लद्दाख में फलते-फूलते रहेंगे और जो इस जगह को समाप्त कर देंगे.
कश्मीर विश्वविद्यालय और अन्य शोध संगठनों के अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला है कि लेह-लद्दाख की ठीक तरीके से देखभाल नहीं की गई तो वहां के ग्लेशियर लगभग 2/2 तक समाप्त हो जाएंगे। कश्मीर विश्वविद्यालय ने अध्ययन में पाया गया है कि राजमार्गों और मानवीय गतिविधियों से घिरे ग्लेशियर तुलनात्मक रूप से तेज गति से पिघल रहे हैं, ” “अकेले अमेरिका और यूरोप के कारण ग्लोबल वार्मिंग इस जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं है, लेकिन स्थानीय प्रदूषण और उत्सर्जन इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. लद्दाख जैसे क्षेत्रों में कम से कम इंसानी गतिविधियां होनी चाहिए ताकि स्थानीय लोगों के लिए भी ग्लेशियर बचे रह सके.”

पहाड़ों पे -40 डिग्री सेल्सियस में अनशन पर बैठेंगे

सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक ने Facebook पर शेयर की तस्वीर सांकेतिक अनशन

सोनम वांगचुक ने अपनी वीडियो के आखिरी में बताया कि उनके द्वारा कई बार सरकार से आग्रह करने पर सरकार द्वारा कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब ना आने पर वह आने वाली इस गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को वहीं पहाड़ियों पर -40 डिग्री सेल्सियस कड़कड़ाती सर्दी में 5 दिनों के अनशन पर बैठेंगे। आगे उन्होंने बताया कि हो सकता है कि यह मेरा आखिरी वीडियो हो, शायद मैं ज़िंदा न बचू, यदि मैं बच गया तो फिर बात करेंगे।

धारा 370 हटने के बाद लद्दाख

आपको बता दें कि केंद्र की सत्ताधारी सरकार ने वर्ष 2019 के आम चुनाव को जीतने के बाद 5 अगस्त 2019 को कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र से धारा 370 को हटा दिया था और जम्मू एंड कश्मीर के अलावा लद्दाख को एक अलग राज्य का दर्जा दिया गया था। इसी के बाद से सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए सोशल मीडिया पर कई वीडियो शेयर किए थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी जी से आग्रह किया था कि क्लाइमेट चेंज को लेकर लद्दाख का विशेष ध्यान रखा जाए और यहां पर बाहरी लोगों के आने पर नियम बनाएं और कंस्ट्रक्शन का काम भी ना बढ़ने दिया जाए।

क्या कहती हैं संविधान की 6वी अनुसूची

संविधान में उल्लेखित छठवीं अनुसूची का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना होता है। 1949 में संविधान सभा द्वारा पारित छठी अनुसूची, स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद और स्वायत्त जिला परिषदों के माध्यम से ‘आदिवासियों के अधिकारों’ की रक्षा का प्रावधान करती है।
यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत किया गया है।
राज्यपाल को स्वायत्त जिलों को गठित करने और पुनर्गठित करने का अधिकार है। 6वीं अनुसूची के कुछ लाभ भी है जो इस प्रकार है।

  • छठी अनुसूची उस क्षेत्र की भूमि पर मूल निवासियों के विशेषाधिकार की रक्षा करती है।
  • छठी अनुसूची आदिवासी समुदायों को काफी स्वायत्तता प्रदान करती है।
  • जिला परिषद और क्षेत्रीय परिषद को कानून बनाने की वास्तविक शक्ति प्राप्त है। ये निकाय क्षेत्र में विकास, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सड़कों और नियामक शक्तियों के लिए योजनाओं की लागत को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन को मंजूरी प्रदान कर सकते हैं।

कौन है सोनम वांगचुक

1 सितंबर 1966 को लद्दाख में जन्मे सोनम वांगचुक एक भारतीय इंजीनियर, प्रर्वतक और शिक्षा सुधारवादी हैं।
वह Student Educational and Culture Movement of Laddakh (SECMOL) के संस्थापक-निदेशक हैं, जिसकी स्थापना 1988 में छात्रों के एक समूह द्वारा की गई थी। उन्हें SECMOL परिसर को डिजाइन करने के लिए भी जाना जाता है जो सौर ऊर्जा पर चलता है और खाना पकाने, प्रकाश या हीटिंग के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है।
इसके अलावा उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं जैसे-

  • अशोक फेलोशिप फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप (2002)
  • ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर (2017)
  • रोलेक्स हीरोज अवॉर्ड (2018)
  • रैमन मैग्सेसे पुरस्कार (2018)

यह तो कुछ गिने-चुने पुरुस्कार ही बताएं है। पुरस्कारों की लिस्ट काफी लंबी है। ‘सोनम वांगचुक’ लद्दाख क्षेत्र में एक समाज सुधारक के रूप में काफी समय से जाने जाते रहे है लेकिन उनके जीवन पर बनी बॉलीवुड की फिल्म 3 ईडियट्स क़े बाद से काफी ज्यादा चर्चा में आ गए थे।

सोनम वांगचुक द्वारा facebook पर शेयर किए वीडियो को देखने के लिए क्लिक करें।

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