अजित पवार और 8 विधायकों के साथ NCP में फूट के बाद…क्या होगा शरद पवार का अगला कदम

NCP प्रमुख शरद पवार ने अपने भतीजे अजीत पवार और आठ अन्य विधायकों के नेतृत्व में अपनी पार्टी के भीतर विद्रोह के जवाब में एक नई शुरुआत करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।

नवीनतम अपडेट्स:

  • आज पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ एक बैठक बुलाई है, जहां वह आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य नवीनतम घटनाओं और दरारों के समय महाराष्ट्र में सत्ता की स्थिति को सुनिश्चित करना है।
  • संजय राउत ने बताया कि अजित पवार के कैबिनेट में शामिल होने का मतलब है कि एकनाथ शिंदे अब मुख्यमंत्री पद से हटेंगे। वे अब मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रहेंगे। वे अब उपयुक्त पदों पर कार्य करेंगे।
  • NCP में हाल ही में हुई दरार के बाद, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खडगे, राहुल गांधी, और ममता बनर्जी ने शरद पवार को फोन करके अपना समर्थन व्यक्त किया है। इस समर्थन का मकसद उन्हें मजबूती और सहायता प्रदान करना है, जबकि वे अपनी नेतृत्व में NCP के दलित्रों को संघर्ष में समर्थन देने के लिए भी प्रेरित करना चाहते हैं।

शरद पवार ने BJP पर साधा निशाना: गंदी राजनीति से कोई लाभ नहीं

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के भीतर लगातार विद्रोह के बीच, पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, अपने गुरु, पूर्व सीएम यशवंत राव चव्हाण को कराड सतारा में उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा महाराष्ट्र सहित पूरे देश में चुनी हुई सरकारों को गिराने की साजिश रच रही है, उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों से एकजुट होने और अपनी ताकत दिखाने का आह्वान किया।

शरद पवार ने बीजेपी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जाति की राजनीति से कोई लाभ नहीं मिलेगा और बुजुर्गों के आशीर्वाद से एक नई शुरुआत की जाएगी। वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने के लिए, उन्होंने 5 जुलाई को सभी पार्टी नेताओं की एक बैठक निर्धारित की है। इस सभा को कई लोग पवार द्वारा शक्ति प्रदर्शन के रूप में देख रहे हैं, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.

अजित पवार और विधायकों की बगावत के बाद NCP द्वारा जितेंद्र अवहाड को विपक्ष का नेता चुना: शरद पवार

अजित पवार और आठ अन्य विधायकों की बगावत के बाद एनसीपी (NCP) ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और चुनाव आयोग को पत्र भेजकर कार्रवाई की है. पत्र में सभी बागियों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करते हुए इस बात पर जोर दिया गया है कि पार्टी की कमान पूरी तरह से शरद पवार के नेतृत्व में है। उल्लेखनीय है कि पवार ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी, और अजीत पवार के दावे से संबंधित कोई भी निर्णय पार्टी के पक्ष पर विचार करने के बाद ही किया जाना चाहिए।

मौजूदा घटनाक्रम के जवाब में एनसीपी (NCP) ने जितेंद्र अवहाद को विधानसभा में विपक्ष का नेता और मुख्य सचेतक नियुक्त किया है। पहले ये जिम्मेदारी अजित पवार को सौंपी गई थी.

महाराष्ट्र: अजित पवार का दावा – NCP के 40 विधायक मेरे साथ, पार्टी में युवा नेतृत्व की जरूरत

महाराष्ट्र के नवनियुक्त उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी NCP) पर अपना दावा जताते हुए कहा है कि पार्टी के 53 में से 40 विधायक उनके साथ हैं। यह बयान राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आया है, जिसमें राकांपा और शिवसेना-भाजपा गठबंधन मिलकर सरकार बना रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ हाथ मिलाने और महाराष्ट्र में सरकार बनाने का अजित पवार का फैसला कई लोगों के लिए झटका था। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका यह कदम NCP से अलग होना नहीं है, बल्कि पार्टी के भीतर ही उठाया गया कदम है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि उन्होंने अपने फैसले से पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को अवगत करा दिया है.

अजित ने अपने बयान में लोकतंत्र में बहुमत के महत्व पर जोर दिया. उनका मानना है कि 24 साल पुरानी पार्टी होने के नाते एनसीपी को आगे आने के लिए युवा नेतृत्व की जरूरत है. विधायकों के बहुमत के समर्थन से पार्टी के भीतर उनके गुट का सत्ता पर मजबूत दावा होगा. इसका मतलब यह है कि शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ सकता है।

अजित पवार के समर्थकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर, जयंत पाटिल ने चुनाव आयोग को भी लिखा पत्र

पवार के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी (NCP) नेता जयंत पाटिल ने उन 9 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की है, जिन्होंने पवार का समर्थन किया है. पार्टी के नियमों के मुताबिक इन विधायकों ने पार्टी छोड़ने के फैसले के बारे में किसी को जानकारी नहीं दी, जिसे उल्लंघन के तौर पर देखा जा रहा है. इस मामले को लेकर पाटिल ने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है. हालाँकि, उन्हें उम्मीद है कि ये विधायक राकांपा में लौट आएंगे और उन्हें पार्टी में वापस स्वीकार कर लिया जाएगा।

शरद पवार ने कहा हमारी असली ताकत जनता है, उन्होंने हमें चुना

आंतरिक कलह के बावजूद, शरद पवार बेफिक्र बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि, उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से समर्थन मिल रहा है, मल्लिकार्जुन खड़गे और ममता बनर्जी जैसे प्रमुख नेता उनसे संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने स्थिति की समीक्षा के लिए आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ चर्चा करने की अपनी योजना का भी खुलासा किया है। पवार ने कहा कि हमारी असली ताकत आज जनता है, उन्होंने हमें चुना है।

क्या है, दलबदल विरोधी कानून

इस तरह के विभाजन को वैध माने जाने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना आवश्यक है। सबसे पहले, जिस पार्टी का नेता जा रहा है उसे किसी अन्य पार्टी में विलय करना होगा। दूसरे, दो-तिहाई विधायकों को विभाजन के लिए सहमत होना होगा। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों ही स्थितियां अजित के पक्ष में हैं. उनका दावा है कि उन्हें राज्य विधानसभा के कुल 53 में से 40 से अधिक NCP विधायकों का समर्थन प्राप्त है। दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए अजित के पास कम से कम 36 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है.

शिंदे समूह: एनसीपी की शक्ति कमजोर होती जा रही है

हालाँकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि शिंदे समूह की उपयोगिता ख़त्म होती दिख रही है। 288 सदस्यीय विधानसभा में 145 सीटों के बहुमत के साथ, शिंदे-फडणवीस सरकार के पास 160 का आंकड़ा था। लेकिन अब, केवल 35 एनसीपी विधायकों के उनके पक्ष में होने से, उनकी शक्ति काफी कम हो गई है। इसके अलावा, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास अब 10-10 मंत्री हैं, जबकि एनसीपी 23 में से केवल 9 मंत्री पद ही सुरक्षित कर पाई है। इससे साफ हो गया है कि एनसीपी को बीजेपी के निर्देशों का पालन करना होगा, क्योंकि पार्टी ने पहले ही 5 मंत्रियों को हटाने का सुझाव दिया था।

भाजपा के “ऑपरेशन लोटस पार्ट 2” के असर के चलते राज्यों की सूची में शामिल हो सकता है बिहार

भाजपा ने महाराष्ट्र राज्य को लोकसभा चुनाव के माध्यम से सबसे आसान राज्य की श्रेणी में खड़ा कर दिया है, जिसके लिए वह NCP के साथ गठबंधन कर रही थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस परिणाम के पश्चात पार्टी बिहार में भी “ऑपरेशन लोटस पार्ट 2” की शुरुआत कर सकती है। इससे प्रभावित राज्यों की सूची में बिहार भी शामिल हो सकता है।

तो, शरद पवार का अगला कदम क्या है? विभाजन और समर्थन खोने के बावजूद, पवार अपनी राजनीतिक चतुराई और वापसी करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पार्टी पर फिर से नियंत्रण पाने और अपनी ताकत फिर से बनाने के लिए रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है।

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