क्यों पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा था, अब नेपाल वह नहीं करेगा जो भारत कहेगा

भारत और नेपाल द्वारा प्रस्तावित रामायण सर्किट के काम में तेजी लाने का फैसला हुआ है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने आज भारत की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद, दोनों नेताओं ने रामायण सर्किट के काम को तेजी से पूरा करने का निर्णय लिया है।

इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच रामायण सर्किट का काम मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस मौके पर बताया कि दोनों नेताओं ने नेपाल-भारत की पार्टनरशिप को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

पुष्प कमल दहल प्रचंड और प्रधानमंत्री मोदी
पुष्प कमल दहल प्रचंड और प्रधानमंत्री मोदी

इसके अलावा, दोनों नेताओं ने भारत-नेपाल के बीच नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर चर्चा भी की। इस चर्चा में हाइड्रो-पावर डेवलेपमेंट, एग्रीकल्चर और कनेक्टिविटी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारविमर्श हुआ। इसके अलावा, सीमा विवाद को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई और उन्होंने इसे द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से सुलझाने की अपील की।

पुष्प कमल दहल प्रचंड का दिल्ली दौरा: भारत-नेपाल संबंधों में नया समझौता

प्रधानमंत्री प्रचंड ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का भी जिक्र किया कि वह प्रधानमंत्री मोदी को नेपाल आने के लिए न्योता दिया है। इस बीते हफ्ते में हुई मुलाकात में दोनों नेताओं की बैठक हैदराबाद हाउस में आयोजित की गई थी।

Pushpa kamal dahal prachand
Pushpa kamal dahal prachand

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने भारत की राजधानी दिल्ली का एक पदार्थी दौरा किया है। इस मौके पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और दोनों नेताओं ने भारत और नेपाल के बीच संबंधों को और भी मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर सहमति जताई।

नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त की गई बड़ी बात

प्रधानमंत्री प्रचंड ने अपने संघीय कार्यालय स्थानकोट के इवेंट के दौरान कहा, “मैंने अपनी यात्रा के दौरान एक HIT फॉर्मुला पर बातचीत की थी, जिसमें हाई-वे, आई-वे और ट्रान्स-वे का अंतर्गत बॉर्डर रिश्तों में किसी भी बैरियर को हटाने का प्रस्ताव था। आज, मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमारे संबंध हिट हैं और हम नए रेल रूट्स शुरू करने के लिए तत्पर हैं। यह नए यातायात के माध्यम से नेपाल के लोगों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करेगा और रेलकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी ताकि उनका कौशल विकसित हो सके।”

साथ ही, प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री मोदी को उनकी सत्ता में नवीनतम 9 सालों के पूर्ण होने पर बधाई दी और उनकी लीडरशिप की सराहना की। उन्होंने कहा, “मोदी जी की अगुआई में भारत ने इकोनॉमी सहित सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास किया है। आज, भारत और नेपाल के बीच बहुत सारे महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं जो हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि: नेपाल के प्रधानमंत्री का चौथा भारतीय दौरा

गुरुवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नई दिल्ली के राजघाट पर पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आदर्श महात्मा को याद करते हुए उनके सामरिक और अहिंसावादी दर्शनों की महत्वपूर्णता पर बल दिया। इसके बाद प्रचंड दोपहर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की।

Nepal Prime Minister
Nepal Prime Minister

नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड का यह चौथा भारत दौरा है। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान भारत में अहम द्विपक्षीय और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की है। उन्हें नई दिल्ली में भारत-नेपाल बिजनेस समिट को संबोधित करने का मौका भी मिलेगा। वे भारत में निवास करने वाले नेपाली समुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं और आवश्यकताओं को समझेंगे।

देखा जाए तो नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की यात्राएं उनके पदाधिकार के मुताबिक बनती रहती हैं। यह एक परंपरा है कि जब भी नेपाल में कोई नया प्रधानमंत्री चुना जाता है, वह अपनी पहली विदेशी यात्रा भारत की ओर करता है। इसी तरह, प्रचंड ने अपने पदाधिकारी कार्यकाल की शुरुआत चीन की यात्रा के साथ की थी।

हालांकि, मई में होने वाली इस यात्रा को कैबिनेट विस्तार के कारण टाल दिया गया था। अब उनका भारत दौरा जून के शुरुआती दिनों में होने की संभावना है, जिसमें इंदौर के एक कार्यक्रम का भी हिस्सा होगा। इसके बाद, नेपाली प्रधानमंत्री की एक और संभावित यात्रा हो सकती है जहां वे महाकाली नगरी उज्जैन का दौरा करेंगे।

पुष्प कमल दहल प्रचंड के भारत विरोधी बयानों से चीन के साथ बढ़ती नजदीकियाँ

पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पहले से ही नेपाल के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है, उन्होंने 2008 में राजशाही पद की समाप्ति के बाद अपनी पहली विदेशी यात्रा के रूप में चीन की यात्रा की थी। उन्हें 2016 से 2017 तक और फिर 2020 से प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था। यहां तक कि उन्होंने द्वितीय बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नवंबर 2021 में भी भारत की यात्रा की थी।

China and Nepal
China and Nepal

प्रचंड को चीन के करीबी माना जाता है और वे कई बार भारत विरोधी बयान भी दे चुके हैं। प्रचंड के पहले कार्यकाल में उन्हें नेपाल आर्मी चीफ रुकमंगड़ कटवाल को पद से हटाना पड़ा था, जिसके कारण भारत और नेपाल के बीच तनाव पैदा हुआ था। भारत इस कदम के खिलाफ था और प्रचंड को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद से प्रचंड की नजदीकियाँ चीन के साथ बढ़ती गईं और वे कई बार चीन के निजी दौरों पर गए। प्रचंड ने भारत और नेपाल के बीच हुए समझौतों को खत्म करने की भी मांग रखी थी। उनके दूसरे कार्यकाल (2016-2017) के दौरान, जब उनके हाथ में सरकार की कमान थी, उस समय उन्होंने कहा था – अब नेपाल वह नहीं करेगा, जो भारत कहेगा।

यह संघर्ष भारत-नेपाल रिश्तों के आंतरिक मामलों की एक पहलु है, और इससे भारत और नेपाल के बीच संबंधों में टकराव आया है।

सीमा विवाद: नेपाल और भारत के बीच की मुद्दों पर विवाद

नेपाल और भारत के बीच कई सीमा मामलों पर विवाद हैं। पिछले वर्ष नेपाल सरकार ने भारत में बन रही एक सड़क के चौड़ीकरण पर आपत्ति जताई थी। यह सड़क बिहार के सीतामढ़ी शहर के कई इलाकों को नेपाल बॉर्डर पर भिठ्ठामोड़ और जनकपुर से जोड़ती है। पहले उत्तराखंड के लिपुलेख में भारत की सड़क का विस्तार नेपाल ने चुनौती दी थी और बाद में नेपाल ने तुरंत इसे रोकने की मांग की थी। नेपाल उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख क्षेत्र को अपना इलाका मानता है।

1815 में हुई सुगौली संधि भारतीय ब्रिटिश राज के दौरान नेपाल और ब्रिटिश इंडिया के बीच हस्ताक्षरित हुई थी। इस संधि में तय हुआ था कि नेपाल की पश्चिमी सीमा महाकाली नदी और पूर्वी सीमा मैची नदी तक होगी, लेकिन इसमें नेपाल की सीमा का निर्धारण नहीं किया गया था। इसके परिणामस्वरूप, आज भी 54 ऐसी स्थानें हैं जहां दोनों देशों के बीच विवाद बना हुआ है। यह सीमा विवाद नेपाल और भारत के बीच कई बार विवादों का कारण रहा है।

  1. लिपुलेख क्षेत्र: लिपुलेख क्षेत्र नेपाल और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण विवादित क्षेत्र है। नेपाल कहता है कि यह क्षेत्र उनके इलाके में स्थित है, जबकि भारत इसे अपना इलाका मानता है। इस क्षेत्र में सीमा स्थिति अनिश्चित है और वहां कई बार तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है।
  2. सिमिकोटा-जडीभर्ती विवाद: यह एक और सीमा विवाद है जिसमें नेपाल और भारत के बीच अंतरित हो रहा है। नेपाल कहता है कि जडीभर्ती उनके इलाके में स्थित है, जबकि भारत इसे अपना इलाका मानता है। इस विवाद के कारण भी नेपाल और भारत के बीच तनाव उत्पन्न हुआ है।
  3. कलापानी विवाद: कलापानी एक अन्य विवादित क्षेत्र है जो नेपाल, भारत और चीन के बीच सीमांकन विवाद का केंद्र है। नेपाल कहता है कि कलापानी उनके इलाके में स्थित है, जबकि भारत इसे अपना इलाका मानता है। इसके अलावा, चीन भी इस क्षेत्र का दावेदार है। इसके कारण तीनों देशों के बीच इस सीमा मामले पर विवाद हुआ है।

ये विवाद ज्यादातर ऐतिहासिक, भूगोलिक, और सांस्कृतिक कारणों से उत्पन्न हुए हैं। नेपाल और भारत दोनों देशों के बीच इस मुद्दे का समाधान करने के लिए संवेदनशील बातचीत का प्रयास किया गया है, लेकिन अभी तक इसे पूरी तरह सुलझाने में सफलता नहीं मिली है।

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