म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन: जर्मन चांसलर ओल्फ शोल्ज़ ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की बात का किया समर्थन, “यूरोपीय मानसिकता” वाली सोच से आना होगा बाहर।

म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन: भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के द्वारा पिछले साल जून में हुऐ GLOBSEC ब्रातिस्लावा फोरम के 17वें संस्करण में रूस-यूक्रेन युद्ध के एक सवाल का जवाब में कहा था कि “हमें यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएँ हैं, लेकिन विश्व की समस्याएँ यूरोप की समस्याएँ नहीं हैं।”
अब जर्मनी के म्यूनिख शहर हुई म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन की बैठक में जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने एस जयशंकर के जून 2022 में GLOBSEC ब्रातिस्लावा फोरम में दिए बयान पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा- जयंशकर की विचारधारा में बदलाव वाली बात सही है। हमें इस पर विचार करना चाहिए। ओलाफ शोल्ज एस जयशंकर के इस बयान को सम्मेलन में मुख्यता से शामिल किया।

58वां म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन।

58वां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 17 से 19 फरवरी 2023 तक हुआ। इसी सम्मेलन के दौरान जर्मन चांसलर द्वारा यह बात कही गई क्योंकि उन्होंने तथाकथित “मानसिकता” में बदलाव का सुझाव दिया था और कहा था कि श्री जयशंकर बात में दम है।
“भारतीय विदेश मंत्री के इस बयान को इस साल की म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट में भी शामिल किया गया है और उनका कहना है कि यह केवल यूरोप की समस्या नहीं होगी यदि मजबूत कानून अंतरराष्ट्रीय संबंधों में खुद को मुखर करता है।

म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन जर्मनी
म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन जर्मनी


आगे ओल्फ शोल्ज़ ने यह भी कहा कि जकार्ता और नई दिल्ली में एक विश्वसनीय यूरोपीय या उत्तरी अमेरिकी होने के लिए साझा मूल्यों पर जोर देना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें आम तौर पर संयुक्त कार्रवाई के लिए एक बुनियादी शर्त के रूप में इन देशों के हितों और चिंताओं को दूर करना होगा और इसीलिए मेरे लिए यह इतना महत्वपूर्ण था कि पिछले जून में जी सेवन (G7) शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की मेज पर केवल एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधि ही नहीं थे।
उन्होंने कहा कि मैं वास्तव में इन क्षेत्रों के साथ काम करना चाहता हूं ताकि उन मुख्य समस्याओं का हल निकाला जा सके जिसकी वजह से वे बढ़ती गरीबी और भुखमरी का सामना कर रहे हैं। आंशिक रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और कोवड-19 के प्रभाव के परिणामस्वरूप ये चुनौतियां सामने आई हैं। पिछले साल GLOBSEC ब्रातिस्लावा फोरम के दौरान जयशंकर से पूछा गया था कि उन्हें क्यों लगता है कि यूक्रेन के लिए दूसरों की मदद नहीं करने के बाद चीन के साथ समस्या होने पर कोई नई दिल्ली की मदद करेगा।

क्या है ये सम्मेलन

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का एक बड़ा मंच हैं जहां दुनिया भर के नेता और विभिन्न देशों के राजदूत दुनिया भर की समस्याओं पर विचार विमर्श करते हुए एवं समस्याओं का हल निकालने में अपनी राय रखते हैं। इसकी शुरुआत 1963 में एक जर्मन सैन्य अधिकारी एवाल्ड फोन क्लाइस्ट ने की।

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म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन एक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर एक वार्षिक सम्मेलन है जो 1963 से जर्मन शहर म्यूनिख , बवेरिया , जर्मनी में आयोजित किया जाता है। पूर्व में सुरक्षा नीति पर म्यूनिख सम्मेलन का नाम दिया गया था। यह दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा सम्मेलन है। यह हर साल फ़रवरी माह में आयोजित किया जाता है।
इस सम्मेलन में राज्यों , सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख , मंत्री , संसद के सदस्य , सशस्त्र बलों के उच्च पदस्थ प्रतिनिधि , विज्ञान , नागरिक समाज , साथ ही व्यापार और मीडिया आदि विषयों पर बात की जाती हैं ।

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