कर्नाटक चुनाव : यह जीत, कांग्रेस के लिए 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एक मौका, आखिर कहां चूक गई बीजेपी। एक रिपोर्ट

कर्नाटक चुनाव पूरे हो गए और आखिरकार कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया। कांग्रेस अब धीरे-धीरे अपने पिछले दिनों को भूलकर जीत की राह पर बढ़ रही है। इस चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटें जीती जबकि बीजेपी मात्र 66 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इसके साथ ही जनता दल जो अपने आप को पिछले साल तक मुख्य पार्टी समझ रही थी। उनका तो बुरा ही हाल रहा और मात्र 19 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। एक तरफ़ कांग्रेस नेता कर्नाटक चुनाव में हुई जीत का श्रेय राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी की हिंदू धर्म की राजनीति इस कर्नाटक चुनाव में काम नहीं आई। इस चुनाव में बीजेपी ने पूरे कर्नाटक में गली-गली जय बजरंगबली का नारा लगाया पर वह काम ना आया। बता दें कि दक्षिण भारत में कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है जहां पर बीजेपी की सरकार थी और प्रधानमंत्री मोदी का नारा था कि कांग्रेस मुक्त भारत लेकिन अब कर्नाटक से बीजेपी का सफाया कुछ और ही इशारा करता है।

कांग्रेस में खुशी की लहर लेकिन इसे बनाए रखने की जरूरत

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद से ही पूरी कांग्रेस पार्टी में खुशी की लहर है। जीत के बाद राहुल गांधी ने कहां कि “कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हो गया और मोहब्बत की दुकान खुल गई।”

कांग्रेसी नेताओं ने कर्नाटक में इस जीत के लिए राहुल गांधी को श्रेय दिया है। राहुल गांधी के द्वारा चलाए गए “भारत जोड़ो आंदोलन” से लोगों में कांग्रेस के प्रति दोबारा से विश्वास जागा है और अब इस विश्वास को बनाए रखने के लिए कांग्रेस को नई सोच और नए स्तर पर काम करना होगा।

CM चुनने की समस्या को जल्द सुलझाना होगा

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत तो हो गई लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर चल रही माथापच्ची एक बड़ा विषय है। कांग्रेस को इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझाना होगा। क्योंकि हाल ही के दिनों में देखा गया है कि कांग्रेस के अंदर आपसी मतभेद बहुत ही जल्द उभर कर सामने आ जाते हैं और जिसका फायदा विपक्षी पार्टी आसानी से उठा लेती है। मध्य प्रदेश इसका जीता जागता उदाहरण है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस का तख्तापलट जिसे पार्टी अभी तक नहीं भूल पाई है। जिस प्रकार 15 महीने की सरकार में ही पार्टी के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था। ऐसे ही कुछ आपसी कलह राजस्थान में भी आए दिन देखने को मिलती है।

कांग्रेस को चाहिए कि कर्नाटक में सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री चुने जो पूरे 5 साल के कार्यकाल को पूरा करें। इसके अलावा कांग्रेस को अपने विधायकों को पूर्ण विश्वास में लेना चाहिए एवं भविष्य में मध्य प्रदेश जैसी घटना न हो इसके लिए सचेत रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि पार्टी के हाईकमान राज्य सरकार से निरंतर संपर्क में रहे।

बीजेपी के लिए कर्नाटक एक सबक

कर्नाटक में हुई इस हार को लेकर बीजेपी सबक ले सकती है। इस चुनाव में बीजेपी अन्य चुनाव की तरह पूर्ण रूप से प्रधानमंत्री मोदी पर ही निर्भर रही। बीजेपी को समझना चाहिए कि लगातार केवल मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ना कभी-कभी पाशा उल्टा भी पड़ सकता है। इसके अलावा इस हार के बाद बीजेपी को समझना चाहिए कि धर्म की राजनीति को लेकर आप हर राज्य में चुनाव नहीं जीत सकते। वैसे देखा जाए तो पूरे कर्नाटक चुनाव के दौरान बीजेपी असमंजस की स्थिति में रही। बीजेपी ने पहले तो येदुरप्पा को सीएम पद से हटाया और फिर जब लगा कि येदुरप्पा के बिना काम नहीं चल सकता तो फिर दोबारा उनका सहारा लेना पड़ा। इसके अलावा बीजेपी ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा भी सामने नहीं रखा जो कि हर चुनाव में किया जाता था। जिससे चुनाव में असमंजस की स्थिति बनी रही। शुरुआत में धार्मिक मुद्दों से बचत आई बीजेपी ने बाद में हनुमान एवं “द केरला स्टोरी” जैसे मुद्दों पर सभाओं में बोलना शुरू कर दिया जिससे बीजेपी की छवि पर काफी प्रभाव पड़ा।

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हालांकि बीजेपी इस चुनाव को लेकर एक सकारात्मक बात से अपने आप को संतुष्ट कर सकती है कि 1985 से कर्नाटक चुनाव का यह इतिहास रहा है कि राज्य के लोग हर बार पुरानी सरकार को हटाकर नई सरकार बनाते हैं। इस बात से बीजेपी अपने आप को सकारात्मक नजरिए से देख सकती है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो कर्नाटक में हुई इस जीत से कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक नया बूस्टर डोज मिल गया है। पर मुद्दे की बात यह है कि क्या कांग्रेस इस सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रख पाएगी एवं अन्य विपक्षी पार्टियों को साथ में लेकर 2024 में बीजेपी को हरा सकती है।

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