कर्नाटक हाईकोर्ट ने 2015 में एक 21 वर्षीय लड़की की हत्या एवं उसके बाद बलात्कार के मामले में फैसला सुनाया। कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फैसला चर्चाओं के केंद्र में आ गया। कर्नाटक हाईकोर्ट में हत्या के इस मामले में माना कि महिला की हत्या के बाद उसके शव का बलात्कार करना भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार का अपराध नहीं माना जायेगा। इसके अलावा जस्टिस बी बीरप्पा एवं वेंकटेश नाईक टी की पीठ ने यह भी सिफारिस की कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि इस प्रकार का (नेक्रोफीलिया) अपराध बलात्कार की श्रेणी में आए इसके लिए कानून में संशोधन करें ।
जस्टिस बी बीरप्पा एवं वेंकटेश नाईक टी की खंडपीठ ने ने अपने फैसले में कहा कि IPC की धारा 375 और 377 के प्रावधानों को गहनता से अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि मृत शरीर को व्यक्ति या मानव नहीं कहा जा सकता और इसी की वजह से इसमें IPC की धारा 375 और 377 के प्रावधान लागू नहीं होंगे। इस हिसाब से देखा जाए तो यह धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपराधी को केवल हत्या के मामले में सजा सुनाई। शव के साथ बलात्कार के मामले में आरोपी को बरी कर दिया गया।
क्या है मामला
यह मामला सन 2015 का है। कर्नाटक के तुमकुरु जिले में 21 वर्षीय एक लड़की की निर्मम हत्या कर दी गई और हत्या के बाद उसके शव के साथ बलात्कार किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि आरोपी ने हत्या के बाद शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। इस मामले में अदालत ने IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोपी को आजीवन कारावास और ₹50000 के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा कोर्ट ने इस बात पर भी जांच की कि क्या मृत शरीर के साथ बलात्कार करना IPC की धारा के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा या नहीं। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस बात का भी उदाहरण दिया कि कई देशों में नैक्रोफीलिया और शवों के खिलाफ अपराध को दंडनीय अपराध की श्रेणी में माना जाता है।
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