मणिपुर विवाद: सीबीआई गठन करेगा विशेष जांच दल, डीआईजी रैंक के अधिकारी करेंगे नेतृत्व

मणिपुर विवाद, नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मणिपुर हिंसा के छह मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इस दल के नेतृत्व में एक डीआईजी (DIG) रैंक के अधिकारी तैनात किए गए हैं। शुक्रवार को अधिकारीगण ने यह खबर दी है।

सीबीआई ने गठित की एसआईटी, मणिपुर विवाद की जांच अब उनके हाथ में

पूर्वोत्तर राज्य में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छह प्राथमिकियों की जांच के लिए सीबीआई (CBI) की जांच की घोषणा की थी। इनमें से पांच मामले मणिपुर में हिंसा की कथित आपराधिक साजिश और सामान्य साजिश पर केंद्रित हैं।

Snatched Weapons
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अधिकारियों ने बताया कि केंद्र और राज्य के निर्देश के अनुसार सीबीआई (CBI) ने एसआईटी (SIT) का गठन किया है और इससे जांच की प्रक्रिया अब सीबीआई (CBI) के हाथ में है। मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने और आपराधियों को सजा दिलाने के लिए सीबीआई हर कठिनाईयों का सामना करेगा।

जातिगत हिंसा के बाद तकरीबन 100 लोगों की मौत, 300 से अधिक घायल, 37 हजार से अधिक लोग रिलीफ कैंपों..

मणिपुर में हाल ही में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। इसके बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। एक महीने पहले जातिगत हिंसा के बाद से अब तक लगभग 100 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है. 37 हजार से ज्यादा लोग रिलीफ कैंपों में हैं।।मणिपुर के नगा विधायकों द्वारा दी गई यह सलाह सरकारी प्रतिनिधिमंडल के द्वारा महत्वपूर्ण मानी जानी चाहिए। वे इस विवादमय मामले को संघर्ष के लिए समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह भी दर्शाया है कि नगा क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति और स्वायत्त परिषद को बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

Manipur Is Burning
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जल संसाधन मंत्री का आग्रह: नगा क्षेत्रों को समाधान की प्रक्रिया में नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए

मणिपुर के जल संसाधन, राहत और आपदा प्रबंधन मंत्री अवांगबो नेवमई ने भी इस बात का आग्रह किया है कि समाधान की प्रक्रिया में नगा क्षेत्रों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार ने तीन प्रमुख समुदायों के साथ संपर्क स्थापित किया है और उनकी सहमति के बिना कोई योजना लागू नहीं की जाएगी।

इसके अलावा, सुरक्षा अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि अस्त्रवादियों द्वारा एक गांव में तीन लोगों की हत्या की गई है।इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए सुरक्षा अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करने की घोषणा की है।

केंद्र ने मणिपुर को दिए 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मंजूरी | मणिपुर विवाद

मणिपुर राज्य में हाल ही में हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने मणिपुर को आराम और सहायता प्रदान करने के लिए 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मंजूरी दी है। इस पैकेज के माध्यम से विस्थापित लोगों को मदद पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने घोषणा की है कि मणिपुर में स्थिति वर्तमान में शांतिपूर्ण है और सुरक्षा नियंत्रण में है। पिछले 48 घंटों में कोई घटना रिपोर्ट नहीं की गई है।

मणिपुर विवाद: पुलिस ने मिलिटेंट्स के 40 एनकाउंटर किए, सत्यता अभी तक प्रमाणित नहीं

राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा किया था कि पुलिस ने 28 मई तक 40 मिलिटेंट्स का एनकाउंटर किया है। हालांकि, इस दावे की सत्यता पर अभी तक पूरी तरह से प्रमाणित जानकारी नहीं है। इस परिस्थिति में, यह स्पष्ट नहीं है कि ये मिलिटेंट्स कौन थे और वे कहां से आए थे।

मणिपुर
मणिपुर

मणिपुर में सिक्योरिटी के लिए कौन-कौन तैनात

  • आर्मी
  • असम राइफल्स
  • सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स
  • स्टेट पुलिस

जानें पूरा मणिपुर विवाद:

  1. मणिपुर में आबादी के आधार पर देखें तो, लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा लोग मैतेई समुदाय के हैं। मैतेई समुदाय का बड़ा हिस्सा इंफाल घाटी में बसा हुआ है, जो कि मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10% है। हाल ही में, मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के बारे में सरकार से विचार करने के निर्देश जारी किए हैं।
  2. मैतेई समुदाय की आरक्षण के पीछे का कारण है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पहले मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा प्राप्त था। हालांकि, पिछले 70 साल में मैतेई समुदाय की आबादी में गिरावट हुई है और उनका आंकड़ा लगभग 50% तक पहुंच गया है। मैतेई समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए आरक्षण की मांग कर रहा है।
  3. मणिपुर के नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय के आरक्षण के विरोध में हैं। इन जनजातियों की आबादी राज्य की कुल आबादी का 34% है। ये दावा कर रहे हैं कि मैतेई समुदाय इंफाल घाटी में पहले से ही 60 से 40 विधानसभा सीटों पर बहुल हैं, जिससे मैतेई समुदाय का पहले से ही राजनीतिक दबदबा है। नगा और कुकी जनजाति को चिंता है कि मैतेई समुदाय को एसटी आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा। साथ ही, मौजूदा कानून के तहत मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बसने की अनुमति नहीं है।
  4. हालिया हिंसा का कारण भी मैतेई आरक्षण मुद्दे से जुड़ा है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वन क्षेत्र में निवास करने वाले नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए उन्हें वहां से निकालने के आदेश जारी किए थे। इससे नगा और कुकी जनजाति आपत्तिजनक हुई थी। मैतेई समुदाय हिंदू धर्मावलंबी है, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म के अनुयायी हैं |

पहाड़ी और घाटी जिलों में कर्फ्यू की ढील, तलाशी अभियान और सुरक्षा बढ़ाई गई

मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों में हाल के हिंसा के बाद, कर्फ्यू के समय में ढील दी गई है। पहाड़ी जिलों में कर्फ्यू की अवधि 8-10 घंटे है, घाटी के पांच जिलों में 12 घंटे और पड़ोसी पहाड़ी जिलों में 8 से 10 घंटे की ढील दी गई है। इसके साथ ही, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

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राज्य और केंद्रीय सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमें राज्य के विभिन्न हिस्सों में तलाशी अभियान को तेज कर रही हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है ताकि सुरक्षा की स्थिति पर नजर रखी जा सके। ये कदम लिए गए हैं ताकि हिंसा को रोका जा सके और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इन सभी मामलों को ध्यान में रखते हुए, नगा लोगों के साथ परामर्श करना और उनके द्वारा प्रस्तावित समाधानों को मध्यस्थता के माध्यम से विचार करना महत्वपूर्ण होगा। इससे राज्य में शांति और समाधान की प्रक्रिया को समर्थन मिलेगा। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी पक्ष न्यायपूर्ण और संवेदनशील तरीके से समस्या का समाधान ढूंढें और दोषियों को सजा मिले।

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