रामायण काल का विचित्र मंदिर, जो विज्ञान के समझ से परे है

रामायण काल का विचित्र मंदिर, जो विज्ञान के नियमो से परे है …. इस मंदिर में नंदी की मूर्ति का आकार इतना बढ़ गया, की खम्बो को हटाना पड़ा । नंदी, जिसे नंदिकेश्वर या नंदीदेव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू भगवान शिव का बैल वाहन है | जब आप इस विचित्र मंदिर में जाते हैं तो आपको यह पहचानने में केवल कुछ सेकंड लगेंगे कि इसके बारे में क्या अनोखा है।

आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित, श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर एक ऐतिहासिक स्मारक है।इस मंदिर की प्रतिष्ठित विशेषता नंदी से संबंधित इसका आकार है – इसके बढ़ते आयामों के कारण कई स्तंभों को हटाना पड़ा है। एक-एक करके यहां नंदी के आस-पास स्थित कई खंबों को हटाना पड़ा गया है।

रामायण काल का विचित्र मंदिर….यांगती उमा महेश्वर मंदिर

यांगती उमा महेश्वर मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के संगम वंश के राजा हरिहर बुक्का राय ने करवाया था। यह मंदिर हैदराबाद से 308 किमी और विजयवाड़ा से 359 किमी दूर स्थित है। जो कि प्राचीन काल के पल्लव, चोला, चालुक्य और विजयनगर शासकों की गौरवशाली परंपराओं को दर्शाता है।

मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प स्थानीय कथा भी है, स्थानीय लोगों की कहानियों के अनुसार, ऋषि अगस्त्य ने उनकी तपस्या में विघ्न डालने वाले कौवों को श्राप दिया था, ‘तुम यहाँ कभी नहीं आ पाओगे’, जिसके कारण शनिदेव यहां कभी निवास नहीं करते। कौए को शनिदेव का वाहन माना जाता है, इसलिए यहां शनिदेव का वास भी नहीं होता है |

पुष्करणिणी झरने का रहस्य

यहां शिव-पार्वती अर्द्धनारीश्‍वर के रूप में विराजमान हैं और इस मूर्ति को अकेले एक पत्‍थर को तराशकर बनाया गया है।
इस मंदिर की एक खास बात और भी है कि इसके अतिरिक्त, पुष्करणिणी के नाम से जाना जाने वाला एक पवित्र झरना है | साल के 12 महीनों तक, पानी का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं होने के बावजूद झरना बहता रहता है | यहां भक्‍तों का मानना है कि मंदिर में प्रवेश से पहले इस पवित्र जल में स्‍नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

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