जस्टिस गोविंद रानाडे: महान समाज सुधारक गोविंद रानाडे की जयंती

न्यायमूर्ति गोविंद रानाडे जी की जयंती पर हम उन्हें कोटि कोटि नमन करते हे आप को बता दे की भारत में गोविंद रानाडे को नाम महादेव गोविंद रानाडे नाम से भी जाना जाता है। भारत की आजादी में योगदान के लिए कई महापुरुषों के नाम सम्मिलित हैं उनमें से एक नाम महादेव रानाडे का भी है। इन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में बहुत सा योगदान दिया है और सामाजिक सुधार जैसे कार्य किए हैं रानाडे जी को समाज और भारत के निर्माण के लिए भी जाना जाता है। महादेव रानाडे जी को समाज के निर्माण एवं समाज सुधार में शिक्षा और उसके इतिहास के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी जाना जाता है।
हमेशा शांत स्वभाव एवं धैर्यपूर्वक काम करने वाले महादेव जी का आज यानी 18 जनवरी को जन्मदिन है।

न्यायमूर्ति  गोविंद रानाडे जयंती
न्यायमूर्ति गोविंद रानाडे जयंती

न्यायमूर्ति गोविंद रानाडे जी द्वारा सामाजिक एवं धार्मिक सुधारक

गोविंद रानाडे जी ने अपने मित्रों बाल मंगेश वाग्ले, डॉ॰ अत्माराम पांडुरंग एवं वामन अबाजी मोदक के संग 31 मार्च 1867 को प्रार्थना-समाज की स्थापना की, जो कि ब्रह्मो समाज से प्रेरित थी । यह आस्तिकता के सिद्धांतों पर था, जो प्राचीन वेदों पर आधारित था। राणाडे सामाजिक सम्मेलन आंदोलन के भी संस्थापक थे, जिसे उन्होंने मृत्यु पर्यन्त समर्थन दिया।
गोविंद रानाडे जी द्वारा कई समाज सुधार के लिए भी जाना जाता है जैसे बाल विवाह, विधवा मुंडन, विवाह के आडम्बरों पर भारी आर्थिक व्यय, सागरपार यात्रा पर जातीय प्रतिबंध इत्यादि का विरोध किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह एवं स्त्री शिक्षा पर पूरा जोर दिया था।

न्यायमूर्ति गोविंद रानाडे जी ने उच्च शिक्षा प्राप्त की

महादेव गोविंद रानाडे की प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुई। एक मराठी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद 14 साल की उम्र में वे बंबई के एलफिस्टोन कॉलेज में पढ़ने चले गए। वह बंबई विश्वविद्यालय के पहले बैच के छात्र थे। उन्होने BA की शिक्षा प्राप्त की और फिर चार साल बाद LLB की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की।

रानाडे जी की जज बनने तक का सफ़र

19वी सदी के बड़े समाज सुधारकों में शामिल रानाडे ने देश, समाज और धर्म के उत्थान के लिए बहुत अच्छे प्रयास किए थे। उन्होंने स्वयं भारतीय भाषाओं को बंबई विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया। उनकी योग्यता के कारण उन्हें बॉम्बे स्मॉल कॉज कोर्ट में प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था। 1893 तक, वह बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बन गए थे। इसीलिए उन्हें न्यायमूर्ति गोविंद रानाडे के नाम से भी जाना जाता है।

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