सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता की याचिकाओं पर फ़ैसले लेने की समयसीमा एक सप्ताह के भीतर बताएं। बता दें कि जून 2022 में महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना विधायकों ने तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार से बगावत करके भाजपा के साथ गठबंधन करके नई सरकार बनाई थी।
इसके बाद उद्धव गुट ने जुलाई 2022 में अदालत का रुख किया और राज्य विधानसभा अध्यक्ष को योग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र फैसला देने की मांग की थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को एक सप्ताह के भीतर फैसला लेने से संबंधित समय बताने को कहा है।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा जी की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को शीर्ष 11 मई के शीर्ष अदालत के फैसले और उचित समय के भीतर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए निर्देशित किया।
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कोर्ट की गरिमा का सम्मान करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से योग्यताओं की याचिकाओं के निपटान के लिए सदन के अध्यक्ष द्वारा निर्धारित समय सीमा के बारे में सूचित करने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि “सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का सम्मान करना होगा और उसके फैसले का पालन भी करना होगा”।
तीनों जजों की पीठ ने कहा कि “संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत स्पीकर एक न्यायाधिकरण है और एक न्यायाधिकरण के रूप में वह अदालत के अधिकार क्षेत्र के प्रति उत्तरदाई है। 11 मई के फैसले के बाद लंबित योग्यता याचिकाओं के बारे में अब तक कुछ भी नहीं किया गया है। अब हम निर्देश देते हैं कि कार्रवाई पूरी करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करते हुए स्पीकर द्वारा एक सप्ताह के भीतर प्रक्रियात्मक निर्देश जारी किए जाएं”। कोर्ट ने कहा कि “हम उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के प्रति सम्मान की उम्मीद करती है।
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